लोकतंत्र को सशक्त बनाने का महामंच! राष्ट्रीय विधान सभा में गूंजे जनभागीदारी और संसदीय कार्य के प्रभावी प्रयोग के विचार

लोकतंत्र को सशक्त बनाने का महामंच! राष्ट्रीय विधान सभा में गूंजे जनभागीदारी और संसदीय कार्य के प्रभावी प्रयोग के विचार

नई दिल्ली। लोकतंत्र की मजबूती में जनता की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है, और यही संदेश राष्ट्रीय विधान सभा - क्षमता संवर्धन कार्यक्रम के मंच से देशभर के विधायकों और संसदीय विशेषज्ञों ने दिया। कार्यक्रम में विधान परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र को सशक्त करने के लिए आम जनता की भागीदारी और जनप्रतिनिधियों की प्रभावी भूमिका अनिवार्य है।

इस अवसर पर विधान परिषद की उपाध्यक्ष डॉ. नीलम गोऱ्हे ने संसदीय कार्य को जनसेवा का सर्वश्रेष्ठ आयुध बताते हुए कहा कि विधायकों के पास 16 संसदीय उपकरण होते हैं, जिनमें स्टार प्रश्न, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव जैसी विधियां शामिल हैं। यदि इनका सही उपयोग किया जाए, तो आम जनता को न्याय मिलने में अधिक पारदर्शिता और गति आएगी।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, झारखंड विधान सभा अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, राजस्थान विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष सी. पी. जोशी सहित कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। इस सम्मेलन के संस्थापक-संयोजक राहुल कराड और विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. एम. चिट्नी ने भी अपने विचार रखे।

यह कार्यक्रम न केवल जनप्रतिनिधियों के संसदीय कौशल को विकसित करने का मंच बना, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को और अधिक समृद्ध करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ।