हथकरघा क्षेत्र में हरित क्रांति की ओर कदम: केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने "भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन" पुस्तक का किया विमोचन

— भारत के हस्तशिल्प उद्योग के टिकाऊ भविष्य की ऐतिहासिक नींव रखी गई
विशेष रिपोर्ट | PIB दिल्ली | 06 अगस्त 2025
भारतीय हथकरघा उद्योग को न केवल उसकी कला और संस्कृति के लिए, बल्कि उसके सतत उत्पादन एवं ग्रामीण आजीविका में योगदान के लिए भी जाना जाता है। इस क्षेत्र को और अधिक पर्यावरण-अनुकूल तथा टिकाऊ बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज "भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन: विधियां और केस स्टडीज़" नामक पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया।
यह पुस्तक क्या है? – पारंपरिक शिल्प में पर्यावरणीय चेतना की दस्तावेज़ी मिसाल
यह पुस्तक वस्त्र मंत्रालय के हथकरघा विकास आयुक्त कार्यालय और आईआईटी दिल्ली के वस्त्र एवं रेशा अभियांत्रिकी विभाग के संयुक्त अनुसंधान सहयोग का परिणाम है। इसमें भारत भर के वास्तविक हथकरघा उत्पादों जैसे कि:
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इकत साड़ियाँ
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बनारसी साड़ियाँ
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फर्श की चटाई
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सूती चादरें आदि
के कार्बन फुटप्रिंट मापन पर आधारित व्यावहारिक केस स्टडीज़ को दर्शाया गया है।
पुस्तक में कम लागत वाली डेटा संग्रह तकनीकों, उत्सर्जन मापन विधियों और स्थायित्व बढ़ाने के सरल उपायों को विस्तार से बताया गया है, जिससे बुनकर और उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति को लाभ मिल सके।
गिरिराज सिंह का वक्तव्य – "मापे बिना बदलाव नहीं होता"
पुस्तक विमोचन के अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा:
“वस्त्र उत्पादन के प्रत्येक चरण में कार्बन प्रभाव को मापना आवश्यक है। बिना मापन के न तो सुधार क्षेत्र पहचाने जा सकते हैं, न ही हमारे प्रयासों की प्रभावशीलता का आकलन किया जा सकता है।”
भारतीय हथकरघा: परंपरा, पर्यावरण और आर्थिक सशक्तिकरण का संगम
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भारत के हथकरघा क्षेत्र में 35 लाख से अधिक लोगों को आजीविका मिलती है।
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इनमें 25 लाख महिलाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हैं, जो इसे महिला सशक्तिकरण का सशक्त स्तंभ बनाता है।
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यह क्षेत्र कम पूंजी, कम ऊर्जा और पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रिया के कारण हरित अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है।
क्यों है यह पुस्तक महत्वपूर्ण?
यह रिपोर्ट वैश्विक जलवायु रिपोर्टिंग मानकों को भारत के स्थानीय परिचालन संदर्भ में ढालती है। इसमें शामिल हैं:
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IIT Delhi,
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भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान,
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बुनकर सेवा केंद्र,
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ग्रीनस्टिच प्राइवेट लिमिटेड,
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जमीनी स्तर के बुनकर समूह,
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और प्रमुख सरकारी एजेंसियों।
यह रिपोर्ट सिर्फ शैक्षणिक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक रणनीतिक गाइड है जो भारत के पारंपरिक शिल्प उद्योग को एक हरित, लचीले और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी स्वरूप की ओर ले जाती है।
मंत्रालय की अपील
वस्त्र मंत्रालय ने सभी हितधारकों, उद्योग प्रतिनिधियों, नीति-निर्माताओं, मीडिया और आम नागरिकों से आह्वान किया है कि वे इस रिपोर्ट का अध्ययन करें और इसके निष्कर्षों को अपने कार्यों में लागू करें।
“यह सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, बल्कि हरित और सतत भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
सारांश में:
विशेषता | विवरण |
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पुस्तक का नाम | भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन: विधियां और केस स्टडीज़ |
संस्थान | वस्त्र मंत्रालय + IIT दिल्ली |
उद्देश्य | कार्बन उत्सर्जन को मापना, सुधार लाना, सतत विकास सुनिश्चित करना |
मुख्य फोकस | पर्यावरण-अनुकूल, कम लागत समाधान, बुनकर हितैषी नीति |
लाभार्थी | 35 लाख बुनकर, विशेष रूप से ग्रामीण और महिला बुनकर |
यह पुस्तक भविष्य के हथकरघा उद्योग की नींव है – जो संस्कृति को सहेजते हुए प्रकृति की रक्षा करता है।