राष्ट्रीय अभिलेखपाल समिति की स्वर्ण जयंती बैठक: अभिलेखीय धरोहर और तकनीकी प्रगति का संगम

राष्ट्रीय अभिलेखपाल समिति की स्वर्ण जयंती बैठक: अभिलेखीय धरोहर और तकनीकी प्रगति का संगम

चेन्नई, 19 सितम्बर 2025 – भारतीय अभिलेखीय परंपरा और तकनीकी नवाचार के संगम का गवाह बना चेन्नई, जहाँ अभिलेखपालों की राष्ट्रीय समिति (NCA) की 50वीं स्वर्ण जयंती बैठक ऐतिहासिक गरिमा और तकनीकी दृष्टि से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।

यह दो दिवसीय बैठक भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI), नई दिल्ली और तमिलनाडु अभिलेखागार एवं ऐतिहासिक अनुसंधान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई। चेन्नई इससे पहले तीन बार इस महत्त्वपूर्ण आयोजन की मेजबानी कर चुका है, और इस बार यह अवसर स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हुआ।


उद्घाटन और विशेष घोषणाएँ

तमिलनाडु सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. गोवी चेझियान ने बैठक का उद्घाटन करते हुए राज्य की अभिलेखीय धरोहर को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

  • जापानी टिशू मेंडिंग तकनीक से दस्तावेज़ संरक्षण हेतु 10 करोड़ रुपये का नया आवंटन

  • युवा शोधकर्ताओं के लिए ₹25,000 प्रतिमाह वजीफे की घोषणा।

  • तमिलनाडु अभिलेखागार के आधिकारिक वेब पोर्टल का शुभारंभ।

  • दो ऐतिहासिक प्रकाशनों का लोकार्पण :

    1. तमिलनाडु में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह और 1857 से पहले सर्वोच्च बलिदान

    2. चार मैसूर युद्ध और तमिलनाडु के विजय अभियान


अभिलेख संरक्षण और डिजिटलीकरण पर जोर

तमिलनाडु अभिलेखागार के प्रमुख सचिव/आयुक्त हर सहाय मीणा ने बताया कि पहले वर्ष के लक्ष्य 10 लाख दस्तावेज़ों में से 8 लाख का संरक्षण पूरा हो चुका है।
राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक संजय रस्तोगी ने अभिलेख पटल प्लेटफॉर्म की उपलब्धि साझा की, जिसमें अब तक 1.4 करोड़ पृष्ठों का डिजिटलीकरण हो चुका है। उन्होंने घोषणा की कि अगले दो वर्षों में पूरा संग्रह डिजिटाइज करने का लक्ष्य है और अभिलेख-संपदा नामक नई योजना पर विचार-विमर्श चल रहा है।


तकनीकी सत्र और शोध प्रस्तुतियाँ

दो दिवसीय बैठक में अभिलेख संरक्षण से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तक कई विषयों पर चर्चा हुई –

  • “बॉर्न डिजिटल अभिलेख” और डिजिटल अभिलेखीय पहुंच में AI की भूमिका।

  • वंशावली अनुसंधान में आधुनिक तकनीक का उपयोग।

  • संरक्षण की चुनौतियाँ और जापानी तकनीक के प्रभाव।

  • सोशल मीडिया एवं आउटरीच अभियान की नई रणनीतियाँ।


इतिहास, स्मृति और प्रेरणा

बैठक में यह विचार बार-बार गूंजा कि अभिलेख केवल दस्तावेज़ नहीं, बल्कि राष्ट्र की स्मृति, समाज की आवाज़ और मानवता का दर्पण हैं। तमिलनाडु के वीर नायकों—पुली थेवर, वीरपांडिया कट्टाबोम्मन, मरुदुपांडिया बंधु, रानी वेलु नाचियार, हैदर अली और टीपू सुल्तान—की गाथाओं को नई पीढ़ी तक पहुँचाने पर जोर दिया गया।


राष्ट्रीय भागीदारी और ऐतिहासिक महत्व

इस 50वीं स्वर्ण जयंती बैठक में 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे यह आयोजन सही मायनों में राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक बना।
1953 में स्थापित एनसीए की यह बैठक भारत के अभिलेखीय मिशन को नई दिशा देने वाला मील का पत्थर सिद्ध हुई।


चेन्नई में सम्पन्न यह स्वर्ण जयंती बैठक न केवल अभिलेख संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि रही, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि भारत अपनी ऐतिहासिक धरोहर को नई तकनीकी शक्ति से जोड़कर भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।