**निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की**
केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के वित्तीय मानदंडों, जमा धनराशि जुटाने, डिजिटल भुगतान और साइबर सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ वित्तीय समावेश के तहत ऋण तक पहुंच तथा पीएसबी से संबंधित अन्य उभरते मुद्दों पर उनके प्रदर्शन की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक में सचिव डॉ. विवेक जोशी, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव नामित श्री एम. नागराजू, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के प्रमुखों के अलावा वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
बैठक के दौरान यह उल्लेख किया गया कि वित्त वर्ष 24 के दौरान, पीएसबी ने सभी वित्तीय मानदंडों पर अच्छा प्रदर्शन किया, जैसा कि शुद्ध एनपीए (एनएनपीए) में 0.76 प्रतिशत की गिरावट के साथ बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता, 15.55 प्रतिशत की बैंकों की अच्छी पूंजी पर्याप्तता, 3.22 प्रतिशत की बैंकों की शुद्ध ब्याज सीमा (एनआईएम) और 1.45 लाख करोड़ रुपये के अब तक के सबसे अधिक शुद्ध कुल लाभ के साथ शेयरधारकों को 27,830 करोड़ रुपये का लाभांश देने से परिलक्षित होता है। विभिन्न मानदंडों में सुधार ने बाजारों से पूंजी जुटाने की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की क्षमता में भी वृद्धि की है।
जमा राशि जुटाने पर विचार-विमर्श के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि ऋण वृद्धि में तेजी आई है, लेकिन ऋण वृद्धि को स्थायी रूप से वित्तपोषित करने के लिए जमा राशि जुटाने में और सुधार किया जा सकता है। उन्होंने बैंकों से विशेष अभियान चलाकर जमा राशि जुटाने के लिए ठोस प्रयास करने को कहा। श्रीमती सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कुशल ग्राहक सेवा अदायगी के लिए अपने ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध बनाने की भी सलाह दी। केंद्रीय वित्त मंत्री ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कर्मचारियों को अपने ग्राहकों से जुड़ने के लिए आगे आना चाहिए। श्रीमती सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से उभरते क्षेत्रों में सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करके आपसी शक्तियों का लाभ उठाने के लिए सहयोग की तलाश करने और बैंकिंग क्षेत्र में हो रहे बदलावों के साथ तालमेल बिठाने के लिए खुद को तैयार करने का भी आग्रह किया।
संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के लिए बैंकों द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित करते हुए, श्रीमती सीतारमण ने उन्हें एनसीएलटी और एनएआरसीएल द्वारा पेश किए गए समाधान और वसूली के दायरे को अनुकूल बनाने की सलाह दी।
बैठक में डिजिटल भुगतान और साइबर सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री ने सलाह दी कि साइबर सुरक्षा के मुद्दों को एक प्रणालीगत दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि साइबर जोखिमों के खिलाफ आवश्यक उपाय करने के लिए बैंकों, सरकार, नियामकों और सुरक्षा एजेंसियों के बीच एक सहयोगी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी आग्रह किया कि आईटी प्रणाली के हर पहलू की साइबर सुरक्षा के दृष्टिकोण से समय-समय पर और गहन समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि बैंक प्रणालियों की सुरक्षा भंग न होना या इससे कोई समझौता न होना सुनिश्चित किया जा सके।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हमेशा निचले स्तर के नागरिकों को उनकी आजीविका का समर्थन करने और जीवन को बेहतर बनाने के लिए ऋण तक आसान पहुंच की सुविधा प्रदान करने का प्रयास किया है। उन्होंने बैंकों से डिजिटल फुटप्रिंट और नकदी प्रवाह के आधार पर एमएसएमई के लिए एक नया ऋण मूल्यांकन मॉडल समेत हाल की बजट घोषणाओं को तेजी से लागू करने के लिए कहा। केंद्रीय वित्त मंत्री ने बैंकों को पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी केंद्र सरकार की विभिन्न पहलों के तहत पात्र लाभार्थियों को ऋण प्रवाह बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्देश दिया।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने बैंकों को सलाह दी कि वे ऋण बंद होने के बाद सुरक्षा दस्तावेज सौंपने के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें और निर्देश दिया कि ग्राहक को दस्तावेज सौंपने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।