राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 22 अगस्त 2024 को राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में आयोजित भव्य समारोह में देश के विज्ञान जगत के अग्रणी मस्तिष्कों को राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 से सम्मानित किया। इस ऐतिहासिक क्षण में राष्ट्रपति ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले 33 विशिष्ट वैज्ञानिकों को चार प्रतिष्ठित श्रेणियों - विज्ञान रत्न, विज्ञान श्री, विज्ञान युवा, और विज्ञान टीम में पुरस्कार प्रदान किए।

विज्ञान रत्न पुरस्कार, जो जीवन भर के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को दिया जाता है, प्रोफेसर गोविंदराजन पद्मनाभन को प्रदान किया गया। वे आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में एक महानायक के रूप में उभरे हैं। उनके अथक प्रयासों ने भारतीय जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं। यह पुरस्कार न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों का सम्मान है, बल्कि भारतीय वैज्ञानिक समुदाय की प्रतिष्ठा को भी नई ऊँचाइयों तक पहुँचाता है।

विज्ञान श्री पुरस्कार के तहत, 13 वैज्ञानिकों को उनके विभिन्न क्षेत्रों में किए गए अग्रणी अनुसंधान के लिए सम्मानित किया गया। इन वैज्ञानिकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में न केवल देश का नाम रोशन किया, बल्कि विज्ञान के नए आयामों को भी स्थापित किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों में इन वैज्ञानिकों का योगदान अभूतपूर्व है। 

विज्ञान युवा पुरस्कार उन 18 वैज्ञानिकों को दिया गया जिन्होंने अपने असाधारण कार्यों से न केवल विज्ञान के नए द्वार खोले, बल्कि भविष्य की दिशा भी तय की है। इन नवयुवकों ने स्वदेशी 5-जी बेस स्टेशन के विकास से लेकर हिंद महासागर के गर्म होने के अध्ययन तक के क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इनके कार्यों ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत का भविष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उज्ज्वल है।

विज्ञान टीम पुरस्कार से सम्मानित किए गए वैज्ञानिकों की टीम ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया, बल्कि वैश्विक विज्ञान समुदाय में भारत का स्थान भी सुदृढ़ किया।

इस ऐतिहासिक अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के पहले संस्करण के लिए अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार न केवल हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का सम्मान है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी का भविष्य उज्ज्वल और संभावनाओं से भरा हुआ है।" पुरस्कार समारोह में उपस्थित गणमान्य अतिथियों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से जुड़े प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल थीं। सभी ने इन वैज्ञानिकों के योगदान को सराहा और उनके प्रयासों को भारत के विज्ञान क्षेत्र की प्रगति का प्रतीक बताया।  इस आयोजन ने साबित किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की भूमिका अब विश्व स्तर पर पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो चुकी है। यह केवल एक पुरस्कार समारोह नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा अवसर था जिसने पूरे देश को गर्व और प्रेरणा से भर दिया।  राष्ट्रपति द्वारा इन पुरस्कारों का वितरण न केवल उन वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का सम्मान है, जिन्होंने अपने नवाचारों और अनुसंधानों से विज्ञान के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं, बल्कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। अंत में, यह समारोह केवल पुरस्कारों का वितरण नहीं था, बल्कि यह एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ते कदमों का उत्सव था जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का वादा करता है।