भारत-इज़राइल साझेदारी से शहरी जल प्रबंधन में आएगी क्रांति

भारत-इज़राइल साझेदारी से शहरी जल प्रबंधन में आएगी क्रांति

कपिह डीप टेक प्रा. लि., पुणे को मिला ₹4.07 करोड़ का अनुदान

नई दिल्ली, 19 सितम्बर 2025।
भारत की शहरी जल आपूर्ति प्रणाली को आधुनिक और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने पुणे स्थित कपिह डीप टेक प्रा. लि. को ₹4.07 करोड़ की सशर्त अनुदान सहायता प्रदान की है। यह सहायता भारत-इज़राइल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास तथा तकनीकी नवाचार निधि (i4F) के अंतर्गत दी गई है।


परियोजना: “डिजिटल ट्विन फ्रेमवर्क”

इस परियोजना का नाम है –
‘शहरी जल वितरण प्रणालियों के लिए अनुकूली डिजिटल ट्विन फ्रेमवर्क: भारतीय बुनियादी ढांचे के लिए एक संकल्पनात्मक कार्यान्वयन रणनीति’।

???? इस पहल के तहत 5.82 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना में TDB का योगदान ₹4.07 करोड़ होगा।
???? परियोजना को इज़राइल की RealiteQ Technologies Ltd. के सहयोग से लागू किया जाएगा।


क्या है इसका मकसद?

यह परियोजना AI-संचालित डिजिटल ट्विन फ्रेमवर्क विकसित करेगी, जो जल वितरण प्रणालियों के:

  • प्रदर्शन का अनुकरण (simulation),

  • निगरानी (monitoring) और

  • पूर्वानुमान (forecasting)

कर सकेगा।

इस समाधान में RealiteQ का क्लाउड-आधारित SCADA प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि भारतीय शहरों के लिए एक किफायती और व्यावहारिक तकनीक उपलब्ध हो सके।


भारत की जल आपूर्ति प्रणाली की प्रमुख चुनौतियाँ

यह परियोजना उन चुनौतियों से निपटने की दिशा में अहम साबित होगी, जिनसे आज भारत के शहरी जल तंत्र जूझ रहे हैं:

  • पुराना और जर्जर बुनियादी ढांचा

  • गैर-राजस्व जल (NRW) की भारी हानि

  • खंडित और सीमित निगरानी प्रणाली

  • आपूर्ति शृंखला में संसाधनों की अक्षमता


कैसे होगा लाभ?

  • परियोजना के अंतर्गत कई पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे।

  • इससे शहरों को AI-आधारित निगरानी और नियंत्रण प्रणाली को धीरे-धीरे अपनाने में मदद मिलेगी।

  • चरणबद्ध मॉडल से लागत कम होगी और पुराने बुनियादी ढांचे के साथ इसका एकीकरण आसान होगा।


TDB का दृष्टिकोण

श्री राजेश कुमार पाठक, सचिव – TDB, ने कहा:
"भारत की शहरी जल प्रणालियां गंभीर चुनौतियों से गुजर रही हैं। इस तरह के डिजिटल ट्विन समाधान न केवल दक्षता बढ़ाएँगे और बर्बादी कम करेंगे, बल्कि शहरी जल प्रबंधन को अधिक मजबूत और भविष्य-तैयार भी बनाएंगे।"