अफगानिस्तान में धरती डोली: 6.3 तीव्रता के भूकंप से कांपा उत्तर, 4 की मौत और 60 से अधिक घायल – रात के सन्नाटे में मचा हाहाकार
काबुल/खोल्म।
उत्तरी अफगानिस्तान की धरती सोमवार तड़के अचानक थर्रा उठी। आधी रात के सन्नाटे में आई यह भयावह कंपन ऐसी थी कि लोग घरों से चीखते-चिल्लाते बाहर भागे। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण संस्था (USGS) के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता 6.3 मापी गई, जिसने महज़ कुछ ही सेकंडों में दर्जनों इलाकों में तबाही मचा दी। स्थानीय समाचार चैनल शमसाद न्यूज के अनुसार, अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 60 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। कई मकान ध्वस्त हो गए हैं और अस्पतालों में घायलों की भीड़ उमड़ पड़ी है।
रात 12:59 बजे हिला धरती का दिल
USGS के मुताबिक, भूकंप का केंद्र खोल्म के पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित था। इसकी गहराई लगभग 28 किलोमीटर बताई गई है। यह झटका स्थानीय समयानुसार सोमवार तड़के 12:59 बजे आया, जब अधिकांश लोग गहरी नींद में थे। अचानक ज़मीन के हिलने और दीवारों के दरकने से लोग नींद से जाग उठे और घरों से बाहर भाग निकले। जर्मनी के जियोसाइंस रिसर्च सेंटर (GFZ) ने भी बताया कि हिंदूकुश क्षेत्र में इसी समय 6.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर रही।
????️ लगातार झटकों से दहशत, एक दिन पहले भी आया था भूकंप
यह भूकंप तब आया जब लोगों का मन अभी पिछले झटके से भी नहीं संभला था। शनिवार की रात इसी क्षेत्र में 4.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था, जिसकी जानकारी यूरोपीय मेडिटेरेनियन सिस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) ने दी थी। दो दिन के भीतर आए दो शक्तिशाली भूकंपों ने हिंदूकुश पर्वतीय क्षेत्र को भय और असुरक्षा की चपेट में ला दिया है।
बचाव कार्य तेज़, प्रभावित इलाकों में मलबा हटाने की कोशिशें जारी
भूकंप के झटके सबसे ज़्यादा खोल्म, बघलान, कुंदुज और मजार-ए-शरीफ के आसपास महसूस किए गए। कई इमारतों में दरारें पड़ गईं और कुछ मकान ज़मीनदोज़ हो गए। स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियों ने आपात बचाव अभियान शुरू कर दिया है। घायलों को नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।
अफगानिस्तान के आपदा प्रबंधन मंत्रालय के अनुसार, राहत टीमों को दूरस्थ गांवों तक पहुँचने में कठिनाई हो रही है क्योंकि कुछ सड़कों पर दरारें और मलबा आ गया है।
लोगों में भय का माहौल, रात खुले आसमान के नीचे गुज़ारी
खोल्म और आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में लोगों ने रात खुले आसमान के नीचे गुज़ारी। झटकों के डर से कोई भी अपने घरों में लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। एक स्थानीय निवासी ने कहा —
“जब ज़मीन हिलने लगी तो हमें लगा जैसे पूरी धरती हमारे नीचे टूट रही है… बच्चे रो रहे थे, लोग अल्लाह का नाम लेकर भाग रहे थे।”
अफगानिस्तान – भूंकपों की संवेदनशील भूमि
अफगानिस्तान भूगर्भीय दृष्टि से भूकंप प्रवण क्षेत्र में आता है। हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला के नीचे कई भूगर्भीय प्लेटों की टकराहट होती है, जिससे अक्सर यहां तेज झटके महसूस किए जाते हैं। पिछले वर्ष भी पश्चिमी अफगानिस्तान के हेरात इलाके में आए भूकंप में 1,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
प्रकृति का चेतावनी संकेत
यह ताज़ा आपदा एक बार फिर याद दिलाती है कि भूकंप सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना की परीक्षा भी है। अफगानिस्तान के लोगों के लिए यह एक और कठिन समय है, जहाँ हर झटका केवल दीवारें ही नहीं, बल्कि जीवन की बुनियादें भी हिला देता है। दुनिया भर से सहायता और संवेदना के संदेश आने शुरू हो गए हैं — उम्मीद है कि मानवता की यह एकता, भय और दर्द के इस अंधेरे को जल्द कम कर देगी।







