छठ पूजा की खुशी में छाया मातम: तालाब में डूबने से 17 वर्षीय युवक की दर्दनाक मौत
- — थोड़ी सी लापरवाही ने बुझा दी घर की खुशियाँ, गांव में पसरा सन्नाटा
क्राइम रिपोर्टर: नरसिंह यादव, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
गोरखपुर। महापर्व छठ पूजा की उमंग के बीच गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित बड़हलगंज थाना क्षेत्र के अहिरौली (द्वितीय) गांव से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। जहां पूजा-अर्चना और गीतों के बीच खुशियों का माहौल था, वहीं कुछ ही पलों में तालाब किनारे मातम पसर गया। पूजा के दौरान स्नान करते वक्त एक 17 वर्षीय युवक की तालाब में डूबकर मौत हो गई।
छठ मनाने आया था मौसी के घर, तैरने गया और फिर...
मिली जानकारी के अनुसार, मृतक युवक कमलेश, निवासी सकराखोर, दलित समाज से संबंध रखने वाले पन्ने लाल प्रसाद का पुत्र था। कमलेश अपनी मौसी अहिरौली निवासी लालजी प्रसाद के घर छठ पूजा मनाने आया था। सुबह अपनी मौसी के साथ अर्घ्य अर्पण करने के बाद वह गांव के तालाब में नहाने चला गया।तालाब में पहले से ही कुछ युवक तैर रहे थे। कमलेश भी उन्हीं के साथ पानी में उतरा, लेकिन थोड़ी देर बाद वह पानी की गहराई में फंस गया। ग्रामीणों के अनुसार, जब तक आसपास के युवक कुछ समझ पाते, कमलेश गहराई में जा चुका था। कुछ लोगों ने उसे बचाने की कोशिश की, पर सफल न हो पाने की स्थिति में वे डरकर वहां से भाग गए।
शोरगुल में डूब गई मदद की पुकार
तालाब के किनारे उस समय छठ पूजा कर रहीं कई महिलाएं मौजूद थीं, परन्तु बैंड-बाजे और गीतों के शोर में किसी को उसकी पुकार सुनाई नहीं दी। काफी देर बाद जब लोग उसकी झलक नहीं देख पाए तो तलाश शुरू हुई। कुछ ग्रामीणों ने हिम्मत जुटाकर तालाब में उतर कर उसे बाहर निकाला और तत्काल स्थानीय पुलिस को सूचना दी।
अस्पताल में डॉक्टरों ने किया मृत घोषित
सूचना पाते ही बड़हलगंज पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से कमलेश को स्थानीय निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बाद में पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए गोरखपुर भेज दिया।
घर में मचा कोहराम, गांव में शोक
कमलेश की मौत की खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। पड़ोसी और रिश्तेदार लगातार सांत्वना देने पहुंच रहे हैं। कमलेश गांधी इंटर कॉलेज, महुआपार में कक्षा 11वीं का छात्र था। वह तीन भाइयों में मझला था। बड़ा भाई गुलशन और छोटा शानू है।
थोड़ी सी सावधानी बचा सकती थी एक जान
ग्रामीणों का कहना है कि अगर तालाब के पास सुरक्षा की व्यवस्था या निगरानी होती, तो शायद यह हादसा टल जाता। बैंड-बाजे और लापरवाही ने एक promising युवक की जिंदगी छीन ली।छठ पर्व की पवित्र घड़ी में घटी यह दर्दनाक घटना इस बात की याद दिलाती है कि श्रद्धा के साथ-साथ सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है।
छठ पूजा जहां भक्ति, विश्वास और पारिवारिक एकता का पर्व है, वहीं इस घटना ने चेताया है कि उत्सव के बीच सुरक्षा को कभी न भूलें। कमलेश की मौत एक त्रासदी नहीं, बल्कि एक सीख है—कि जीवन की रक्षा के लिए सावधानी सबसे बड़ी पूजा है।






