सामाजिक परिवर्तन के क्रांतिदूत पेरियार ललई सिंह यादव की 114वीं जयंती पर गूंजे उनके विचार

सामाजिक परिवर्तन के क्रांतिदूत पेरियार ललई सिंह यादव की 114वीं जयंती पर गूंजे उनके विचार
  • आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, नरसिंह यादव

गोरखपुर, 01 सितम्बर 2025।
आज गोरखपुर में सामाजिक न्याय और परिवर्तन के महानायक पेरियार ललई सिंह यादव की 114वीं जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर की गई, जहाँ उपस्थित जनसमूह ने उनके संघर्षपूर्ण जीवन और विचारों को याद किया।

उत्तर भारत के ‘पेरियार’

1 सितम्बर 1911 को कानपुर देहात ज़िले के कठारा गांव में जन्मे ललई सिंह यादव ने पुलिस सेवा से अपने जीवन की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही उन्होंने समाज के दबे-कुचले वर्गों की आवाज़ बनने का संकल्प लिया। वे दक्षिण भारत के महान समाज सुधारक पेरियार ई.वी. रामास्वामी नायकर के सच्चे शिष्य थे और उनके विचारों को उत्तर भारत में फैलाने का कार्य किया।

तर्कवाद और सामाजिक न्याय की मशाल

ललई सिंह यादव आजीवन अंधविश्वास, पाखंड और जातिवाद के खिलाफ डटे रहे। उन्होंने “शंभू वध” जैसे नाटक लिखे और पेरियार की प्रसिद्ध कृति “The Key to Understanding True Ramayana” का हिंदी अनुवाद “सच्ची रामायण की चाबी” नाम से प्रकाशित किया, जिसने सामाजिक विमर्श को नई दिशा दी।

उन्हें सम्मानपूर्वक “उत्तर भारत का पेरियार” कहा जाता है, क्योंकि वे तर्कवाद, समानता और जाति-विरोधी आंदोलन के प्रखर चेहरा बने।

आज भी प्रासंगिक हैं उनके विचार

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि ललई सिंह यादव का जीवन हमें यह सिखाता है कि समाज में बदलाव केवल शब्दों से नहीं बल्कि साहस और संघर्ष से आता है।
"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक सुधार और धार्मिक असमानता के खिलाफ उनकी लड़ाई हमें आज भी प्रेरित करती है।"

जयंती पर उमड़ा जनसमूह

जयंती समारोह में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद और युवा शामिल हुए। सभी ने संकल्प लिया कि ललई सिंह यादव के विचारों और संघर्षों को नई पीढ़ी तक पहुँचाया जाएगा।