स्तन कैंसर से लड़ाई में नई उम्मीद: भारतीय वैज्ञानिकों ने तैयार किया नया सिंथेटिक कंपाउंड

नई दिल्ली, 01 सितम्बर 2025 |
कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र से एक उत्साहजनक ख़बर सामने आई है। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नव-संश्लेषित नाइट्रो-प्रतिस्थापित ऑर्गेनोसेलेनियम यौगिक विकसित किया है, जो विशेषकर ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर (TNBC) के इलाज में प्रभावी साबित हो सकता है।
क्या है यह नई खोज?
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अधीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (IASST) की डॉ. आशीष बाला और आईआईटी गुवाहाटी के रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. कृष्ण पी. भबक ने मिलकर इस यौगिक का डिज़ाइन और संश्लेषण किया है।
इस कंपाउंड का नाम है – 4-नाइट्रो-प्रतिस्थापित बेंजाइलिक डाइसेलेनाइड 7।
कैसे काम करता है यह कंपाउंड?
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यह यौगिक कैंसर कोशिकाओं के भीतर मौजूद कई ऑन्कोजेनिक सिग्नलिंग मार्गों (oncogenic signaling pathways) को बाधित करता है।
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यह AKT/mTOR और ERK pathways को अवरुद्ध करता है, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में सहायक होते हैं।
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यह शरीर में Reactive Oxygen Species (ROS) उत्पन्न करता है, जो कैंसर कोशिकाओं को कमजोर करता है।
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साथ ही, यह DNA डैमेज और सूजन को कम करता है, जिससे ट्यूमर का आकार घटता है।
पशु परीक्षण में सफल परिणाम
स्विस एल्बिनो चूहों पर किए गए परीक्षण में यह यौगिक न सिर्फ ट्यूमर के आकार को कम करने में सक्षम रहा, बल्कि एंजियोजेनेसिस (नई रक्त वाहिनियों का निर्माण) और मेटास्टेसिस (कैंसर का फैलाव) को भी घटाया। परिणामस्वरूप, कैंसर से ग्रस्त चूहों की आयु बढ़ गई।
क्यों है यह महत्वपूर्ण?
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ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर सबसे जटिल और आक्रामक प्रकार का कैंसर माना जाता है, जिसके उपचार के सीमित विकल्प मौजूद हैं।
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यह अध्ययन संकेत देता है कि ऑर्गेनोसेलेनियम यौगिक भविष्य में कैंसररोधी दवाओं के विकास की दिशा में एक ठोस कदम हो सकते हैं।
यह शोध न केवल भारत में कैंसर अनुसंधान को नई दिशा देता है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कैंसर-रोधी उपचारों में नई उम्मीद जगाता है।