मराठी साहित्य जगत को बड़ा आघात: वरिष्ठ कथाकार प्रो. आर. बोराडे का निधन, ग्रामीण जीवन के यथार्थवादी चित्रण का बुझा दीप
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मुंबई: मराठी साहित्य की दुनिया में एक गहरी शून्यता छोड़ते हुए, वरिष्ठ लेखक, ग्रामीण कहानीकार और उपन्यासकार प्रो. आर. बोराडे का निधन हो गया। उनके अवसान से मराठी साहित्य ने एक ऐसी प्रतिभा को खो दिया, जिसने अपने शब्दों के जादू से ग्रामीण समाज की संवेदनाओं को जीवंत किया।महाराष्ट्र के मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रो. बोराडे की कहानियाँ न केवल यथार्थवादी चित्रण के लिए मशहूर थीं, बल्कि उनके सहज और प्रभावशाली संवादों ने पाठकों को भीतर तक झकझोर दिया। उनकी लेखनी में समाज की नब्ज को पकड़ने की अद्भुत क्षमता थी, जिसने उन्हें पाठकों के दिलों में अमर कर दिया।
उनकी रचनाएँ ग्रामीण जीवन के हर पहलू को उकेरने वाली थीं—सामाजिक संघर्षों से लेकर मानवीय भावनाओं की गहराइयों तक। उनके साहित्य में चौंकाने वाले अंत और मराठवाड़ी भाषा की सहजता ने एक अलग ही पहचान बनाई। मराठी साहित्य को समृद्ध करने वाले इस महान शब्द साधक के निधन से साहित्य प्रेमियों के मन में शोक की लहर दौड़ गई है। साहित्यिक जगत में उनके योगदान को याद करते हुए मंत्री उदय सामंत ने कहा, "प्रो. आर. बोराडे की लेखनी ने समाज को दिशा दी, उनकी कहानियाँ केवल पढ़ी नहीं जाती थीं, बल्कि आत्मा में समा जाती थीं। उनका जाना साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"
मराठी साहित्य के इस अनमोल सितारे को साहित्य जगत और उनके प्रशंसक सदैव याद रखेंगे।