वाइल्डलाइफ एसओएस का महाअभियान: 300 हाथियों को मिलेगी आज़ादी, भीख मांगने की कैद से छुटकारा!

- 2030 तक भारत में भिक्षावृत्ति के लिए कैद हाथियों को मुक्त करने का लक्ष्य, आमजन भी बन सकते हैं इस मुहिम का हिस्सा
- "मोती" की दर्दनाक कहानी से प्रेरित अभियान, जिसे इंसानी क्रूरता ने अपाहिज बना दिया!
जब इंसान की निर्दयता बनी हाथियों की बेड़ियां!
हाथी – जंगल का सबसे बुद्धिमान और विशाल जीव, जिसे प्रकृति ने स्वतंत्रता का वरदान दिया, लेकिन इंसान ने इसे बेड़ियों में जकड़ दिया। कभी मंदिरों में धार्मिक प्रतीक बनाकर, तो कभी सड़कों पर भीख मंगवाने के लिए, ये मासूम जीव रोज़ाना अमानवीय यातनाओं का शिकार होते हैं। उत्तराखंड के रामनगर में एक युवा हाथी "मोती" को उसके महावत ने इतनी निर्दयता से प्रताड़ित किया कि वह एक बार ज़मीन पर गिरा और फिर कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सका। मोती का दर्द इस कड़वी सच्चाई का प्रतिबिंब है कि कैसे मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए इन जीवों को गुलाम बना रहा है।
इसी दर्दनाक हकीकत को बदलने के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस ने एक बड़ा अभियान शुरू किया है। उनका लक्ष्य है – 2030 तक भिक्षावृत्ति में लगाए गए 300 हाथियों को मुक्त कराना!
पांच चरणों में चलेगा यह महाअभियान
वाइल्डलाइफ एसओएस इंडिया ने यूएसए वाइल्डलाइफ एसओएस के साथ मिलकर देशभर में हाथियों की स्वतंत्रता के लिए एक महाअभियान शुरू किया है।
संस्था के सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि इस अभियान का मकसद हाथियों की अमानवीय दुर्दशा को रोकना और उन्हें एक सुरक्षित जीवन देना है।
डायरेक्टर कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स बैजूराज एमवी के अनुसार, हाथियों को रेस्क्यू करने के लिए स्पेशल एंबुलेंस, ट्रेंड एक्सपर्ट्स और आधुनिक अस्पतालों की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
सचिव गीता शेषमणि ने बताया कि अभियान को 5 चरणों में पूरा किया जाएगा, जिसमें –
✅ हाथियों का रेस्क्यू
✅ आउटरीच कार्यक्रम
✅ अवैध व्यापार पर रोकथाम
✅ जनजागरण व शिक्षा अभियान
✅ महावतों के लिए प्रशिक्षण व पुनर्वास कार्यक्रम
आप भी बन सकते हैं इस अभियान का हिस्सा!
वाइल्डलाइफ एसओएस ने "एलीफैंट हेल्पलाइन नंबर - 91 9971699727" जारी किया है, जिस पर कोई भी व्यक्ति भीख मांगते या प्रताड़ित हाथियों की जानकारी दे सकता है।
इस नंबर पर व्हाट्सएप या वॉइस मैसेज के माध्यम से सुझाव भी भेजे जा सकते हैं।
समाज के लिए एक बड़ा सवाल!
- क्या हम हाथियों को उनकी आज़ादी वापस दिलाने में मदद करेंगे, या उन्हें यूं ही अमानवीय जीवन जीने के लिए छोड़ देंगे?
- अब समय है कि हम इंसानियत दिखाएं और इस पवित्र जीव को उसकी असली दुनिया – जंगलों में लौटने में मदद करें।
अब बदलाव की बारी हमारी है!