अंजान शहीद में छठ का अनूठा रंग: पुरुषों ने निभाई व्रत की परंपरा
संवाददाता- राजेश गुप्ता, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
आजमगढ़ के अंजान शहीद गाँव में स्थित बद्दल साव के कच्चा पोखरे के शिव मंदिर में छठ पूजा का त्योहार सदियों से मनाया जाता रहा है। इस वर्ष यह त्योहार और भी विशेष रहा क्योंकि इस बार पुरुषों ने भी छठ का व्रत रखकर इस परंपरा को नया आयाम दिया।
दशकों से इस गाँव में महिलाएँ ही छठ पूजा का व्रत रखती रही हैं, लेकिन इस वर्ष बालगोविंद गुप्ता, सुबाष चंद गुप्ता और नंदलाल प्रजापति जैसे कई पुरुषों ने भी यह निर्णय लिया कि वे छठी मैया की पूजा करेंगे। यह निर्णय गाँव व समाज के लोगों के लिए एक बड़ा बदलाव था।
इस बदलाव की शुरुआत तब हुई जब व्रतीय कुछ महिलाएँ बीमार हो गईं और छठ पूजा का व्रत नहीं रख पा रही थीं। इस स्थिति में परिवार व घर के पुरुषों ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और छठ पूजा का व्रत रखने का निर्णय लिया। उनका मानना था कि छठी मैया की कृपा से ही परिवार व गाँव में सुख-शांति रहती है, और हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है, और इस परंपरा को जीवित रखना उनकी जिम्मेदारी है।
बद्दल साव का कच्चा पोखरा गाँव के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। यह माना जाता है कि इस पोखरे का जल अत्यंत पवित्र है और छठी मैया की कृपा से भरपूर है। इसलिए, गाँव के लोग यहां छठ पूजा करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। छठ पूजा की तैयारियाँ कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। महिलाएँ घरों में प्रसाद बनाने में व्यस्त रहती हैं और पुरुष घाट को साफ-सुथरा करते हैं। पूजा के दिन, श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए पोखरे पर एकत्र होते हैं। वे भक्तिमय गीत गाते हुए सूर्य देव की स्तुति करते हैं। इस वर्ष पुरुषों के छठ पूजा का व्रत रखने से गाँव में एक नई शुरुआत हुई है। यह दिखाता है कि छठ पूजा केवल महिलाओं का त्योहार नहीं है, बल्कि यह पूरे गाँव का त्योहार है। इसने गाँव के लोगों में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया है। आशा है कि आने वाले समय में भी यह परंपरा जारी रहेगी और और भी लोग छठ पूजा का व्रत रखेंगे। यह त्योहार हमें प्रकृति और परमात्मा के प्रति आस्थावान बनाता है और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और करुणा का भाव सिखाता है।