गंभीरपुर में गूंजा जय श्रीराम: राम ने तोड़ा शिवधनुष, सीता स्वयंवर में दिखा आस्था और कला का भव्य संगम

- नरसिंह यादव, रिपोर्टर – गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
श्रीराम की महागाथा जब मंच पर जीवंत होती है, तो सिर्फ संवाद और अभिनय नहीं, बल्कि भक्ति और संस्कृति की धारा भी प्रवाहित होती है। गंभीरपुर में आयोजित श्रीश्री आदर्श रामलीला समिति के तत्वावधान में चल रही रामलीला के चौथे दिन का दृश्य कुछ ऐसा ही रहा, जब सीता स्वयंवर की भव्य लीला ने पूरे जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रामलीला के इस अद्वितीय मंचन में देश-विदेश के राजाओं का आगमन स्वयंवर स्थल पर दिखाया गया। राजा जनक ने प्रतिज्ञा करते हुए कहा—
“जो वीर शिवधनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, वही सीता का वर होगा।”
राजा, महाराजा, रावण और बाणासुर तक बारी-बारी मंच पर आते हैं, किंतु कोई भी धनुष को हिला तक नहीं पाता। सभी मिलकर भी असफल हो जाते हैं। तभी राजा जनक निराशा में कहते हैं—
“हे द्वीप-द्वीप के राजागण, अब किसे बलशाली कहें? ऐसा प्रतीत होता है मानो पृथ्वी वीरों से रिक्त हो चुकी है।”
यह संवाद सुनते ही लक्ष्मण क्रोधित हो उठते हैं, लेकिन प्रभु श्रीराम उन्हें शांत कराते हैं। तत्पश्चात गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से जब श्रीराम मंच पर आते हैं और शिवधनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हैं, तो क्षण भर में ही धनुष भयंकर गर्जना के साथ टूट जाता है। यही वह पल था, जब पूरा पंडाल “जय श्रीराम” के गगनभेदी नारों से गूंज उठा। देवी सीता ने राम के गले में वरमाला डाल दी और स्वयंवर का मंगल दृश्य भक्तों की आंखों में अमिट छाप छोड़ गया।
आकर्षण और भूमिकाएँ:
-
सीता: टिंकू गोस्वामी
-
राम: किशन
-
लक्ष्मण: अर्पित
-
रावण: शुभम
-
बाणासुर: आदित्य सिंह बमबम
मंच संचालन विकास सिंह ने अपने सशक्त संवादों और सुरीले अंदाज़ से और भी रोचक बना दिया।
विशेष अतिथि के रूप में थानाध्यक्ष गगहा सुशील चौरसिया, अभिषेक सिंह रिडू, जोगिंदर यादव और डॉ. अजय शर्मा उपस्थित रहे और इस भव्य आयोजन की सराहना की।
गंभीरपुर की यह रामलीला केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्था का जीवंत उत्सव थी। शिवधनुष भंजन का यह दृश्य दर्शकों को न केवल पौराणिक युग की अनुभूति कराता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाला ही सच्चा विजेता होता है। इस दिन का मंचन दर्शकों के दिलों में अमर हो गया और रामायण की यह अमर गाथा गंभीरपुर की धरती पर एक और बार इतिहास बन गई।