भारत बायोमैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर

नई दिल्ली | 01 सितम्बर 2025
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज बायोई³ (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति के अंतर्गत 21 नए बायो-सक्षम सुविधा केन्द्रों का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि
➡️ अब वैश्विक स्तर पर मौजूद 121 बायो-कंपनियों में से 21 भारत की हैं – यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।
➡️ जैव प्रौद्योगिकी (Biotech) रोज़गार सृजन, आयात पर निर्भरता कम करने और भारत को वैश्विक बायो-इकोनॉमी में अग्रणी बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
प्रमुख बातें :
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भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 10 अरब डॉलर से बढ़कर 100 अरब डॉलर हो चुकी है, लक्ष्य 300 अरब डॉलर का।
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बायोटेक स्टार्टअप्स की संख्या 50 से बढ़कर 13,000+ हो गई है, जिन्हें 100 इनक्यूबेटर्स का समर्थन है।
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नए लॉन्च किए गए 21 बायो-एनेबलर्स स्टार्टअप्स और उद्योग को विश्वस्तरीय लैब, परीक्षण और उत्पादन सुविधाएं देंगे।
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इनके फोकस क्षेत्र:
✅ माइक्रोबियल बायोमैन्युफैक्चरिंग
✅ स्मार्ट प्रोटीन
✅ टिकाऊ कृषि
✅ कार्यात्मक खाद्य पदार्थ
✅ कार्बन कैप्चर
✅ समुद्री जैव प्रौद्योगिकी
✅ कोशिका और जीन थेरेपी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा :
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“जैसे 1990 के दशक में आईटी (IT) भारत की पहचान बनी, आने वाले दशकों में बायोटेक्नोलॉजी (BT) भारत की विकास गाथा को परिभाषित करेगी।”
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उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार का मिलकर काम करना इस क्षेत्र को नई ऊँचाई देगा।
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CAR-T सेल थेरेपी, mRNA दवाओं और समुद्री बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भारत को नेतृत्व करना चाहिए।
महत्व :
यह पहल न केवल स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र को नई दिशा देगी, बल्कि पेट्रोलियम आयात में कमी और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगी।