डीजीटी और ऑटोडेस्क का मिलन: भारत में डिज़ाइन और डिजिटल कौशल विकास का नया युग

डीजीटी और ऑटोडेस्क का मिलन: भारत में डिज़ाइन और डिजिटल कौशल विकास का नया युग

नई दिल्ली, 06 नवम्बर 2025 | रिपोर्ट - PIB Delhi

भारत में व्यावसायिक शिक्षा और तकनीकी कौशल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) और ऑटोडेस्क ने मिलकर एक ऐतिहासिक साझेदारी की है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के अंतर्गत यह समझौता ज्ञापन देशभर के राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (NSTI) और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) में शिक्षकों और प्रशिक्षकों की डिजिटल क्षमताओं को सशक्त करने के उद्देश्य से किया गया है।इस साझेदारी के तहत, शिक्षकों को डिजिटल डिज़ाइन और निर्माण से जुड़ी उन्नत तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे आने वाली पीढ़ियों को एआई, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए तैयार कर सकें।


साझेदारी का उद्देश्य

इस समझौते का मूल उद्देश्य प्रशिक्षकों और छात्रों को आधुनिक डिजिटल टूल्स, सॉफ्टवेयर और वैश्विक मानकों पर आधारित प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है।
ऑटोडेस्क अपनी पेशेवर-स्तरीय सॉफ्टवेयर तकनीक 14,500 से अधिक आईटीआई और 33 एनएसटीआई तक उपलब्ध कराएगा। इसके माध्यम से प्रशिक्षक लाखों छात्रों को उन्नत डिजिटल डिज़ाइन और निर्माण कौशल सिखाने में सक्षम होंगे।


एमएसडीई सचिव देबाश्री मुखर्जी का कहना

“ऑटोडेस्क के साथ यह साझेदारी हमारे प्रशिक्षण ढांचे में डिज़ाइन और डिजिटल तकनीक को गहराई से समाहित करेगी,” उन्होंने कहा।“यह पहल शिक्षकों की क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी और उद्योग की वास्तविक आवश्यकताओं से शिक्षा को जोड़ने में मदद करेगी। हमारा लक्ष्य भारत को कुशल और तकनीक-संचालित प्रतिभाओं का वैश्विक केंद्र बनाना है।”


ऑटोडेस्क सीईओ एंड्रयू एनाग्नोस्ट के विचार

ऑटोडेस्क के अध्यक्ष और सीईओ श्री एंड्रयू एनाग्नोस्ट ने कहा,“हम भारत की प्रतिभा और नवाचार क्षमता में विश्वास करते हैं। जैसे-जैसे एआई डिज़ाइन और निर्माण क्षेत्र में बदलाव ला रहा है, वैसे-वैसे एआई-तैयार वर्कफोर्स की ज़रूरत बढ़ती जा रही है। डीजीटी के साथ हमारा सहयोग न केवल भारत के कौशल विकास को सशक्त करेगा, बल्कि युवाओं को भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार भी करेगा।”


ऑटोडेस्क की भूमिका और योगदान

ऑटोडेस्क ने हमेशा शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। यह दुनिया भर में छात्रों और शिक्षकों को अपनी डिज़ाइन और निर्माण तकनीक निःशुल्क उपलब्ध कराता है। साथ ही यह पाठ्यक्रम, व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रमाणन कार्यक्रम और 1,600 से अधिक वैश्विक लर्निंग पार्टनर्स के माध्यम से शिक्षकों के कौशल को भी अद्यतन बनाए रखता है।ऑटोडेस्क की State of Design and Make Report 2025 के अनुसार, भारत के 52% संगठनों का मानना है कि भविष्य में एआई आधारित कौशल उनकी भर्ती में सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी। ऐसे में यह साझेदारी भारत के औद्योगिक प्रशिक्षण ढांचे में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की मजबूत नींव रखेगी।


डीजीटी की भूमिका और मिशन

डीजीटी देश में व्यावसायिक प्रशिक्षण का सर्वोच्च निकाय है, जो शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (CTS), शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (ATS) और शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना (CITS) जैसी प्रमुख योजनाओं का संचालन करता है।देश भर में इसके तहत 14,500 से अधिक आईटीआई, 33 एनएसटीआई और अनेक प्रशिक्षक प्रशिक्षण संस्थान हैं, जो हर वर्ष 23 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।डीजीटी नई पीढ़ी की तकनीकों जैसे एआई, आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन तकनीक और नवीकरणीय ऊर्जा को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल कर रहा है। इसका उद्देश्य भारत के युवाओं को उद्योग की वास्तविक आवश्यकताओं से जोड़ना और उन्हें “Industry-Ready Workforce” बनाना है।


ऑटोडेस्क: नवाचार की प्रेरणा

ऑटोडेस्क विश्वभर के डिजाइनरों, इंजीनियरों और निर्माताओं को वह प्लेटफ़ॉर्म देता है जिससे वे अपने विचारों को वास्तविकता में बदल सकें। चाहे वह गगनचुंबी इमारतें हों, पुल हों, ऑटोमोबाइल हों या मनोरंजन की दुनिया — ऑटोडेस्क की तकनीक हर जगह अपनी छाप छोड़ रही है।इसके Design and Make Platform के माध्यम से कंपनियां डेटा, एआई और ऑटोमेशन की शक्ति का उपयोग करके बेहतर, तेज़ और टिकाऊ समाधान तैयार कर रही हैं।


डीजीटी और ऑटोडेस्क की यह साझेदारी केवल एक समझौता नहीं, बल्कि भारत के कौशल क्रांति की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम है।यह पहल न केवल शिक्षकों और छात्रों को डिजिटल सशक्तिकरण देगी, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर “डिज़ाइन और मेक” नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।