बृजभूषण सिंह का तीखा वार: 'आज यूपी में विधायकों की औकात जीरो, डीएम के चरणों में गिरी राजनीति

विशेष रिपोर्ट | लखनऊ से
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बयान सामने आया है, और इस बार आवाज़ उठी है भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह की ओर से। एक पॉडकास्ट बातचीत के दौरान उन्होंने सीधे शब्दों में कहा—
"आज यूपी में विधायकों की औकात जीरो हो गई है।"
उन्होंने राज्य में नौकरशाही के बढ़ते वर्चस्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब ऐसा समय आ गया है, जहां जनप्रतिनिधि अपने ही क्षेत्र के काम करवाने के लिए डीएम के चरण छूने को मजबूर हैं।
"डीएम की मर्जी होगी तो काम होगा, वरना विधायक भी लाचार है।"
– बृजभूषण सिंह, पूर्व सांसद
बृजभूषण का यह बयान न केवल सत्ता व्यवस्था पर करारा प्रहार है, बल्कि इस बात का संकेत भी है कि जनप्रतिनिधियों की भूमिका धीरे-धीरे प्रभावहीन होती जा रही है। उन्होंने कहा,
"सारा पावर अब एक जगह केंद्रित हो गया है।"
यदि वह शक्ति सही दिशा में काम करेगी, तो जनता का भला होगा, लेकिन अगर गलत दिशा में गई, तो "सभी फेल हो जाएंगे"।
"ज्यादा बोलूंगा तो आग लग जाएगी…"
अपने बयान के अंत में उन्होंने एक बेहद चेतावनी भरा संदेश भी दिया—
"मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा, नहीं तो आग लग जाएगी।"
उनकी यह बात सत्ता के गलियारों में बहुत कुछ कह गई, भले ही उन्होंने सब कुछ खुलकर न कहा हो।
क्या यह इशारा सिस्टम की चुप्पी की ओर?
बृजभूषण सिंह के इस बयान को सिर्फ एक शिकायत भर नहीं माना जा सकता। यह बयान उस गहरी पीड़ा और बेचैनी का प्रतीक है जो प्रदेश के कई जनप्रतिनिधियों के मन में है, लेकिन वे खुलकर बोल नहीं पा रहे।
समाज और सिस्टम के लिए एक आईना
यह बयान हमें सोचने पर मजबूर करता है—क्या आज का लोकतंत्र वाकई 'जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा' रह गया है? या अब यह एक प्रशासनिक मशीनरी का खेल बन कर रह गया है, जहां आम जनता और उनके प्रतिनिधि सिर्फ तमाशबीन हैं?