यूएन-जीजीआईएम-एपी सम्मेलन: क्षेत्रीय सहयोग से भू-स्थानिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने पर जोर

यूएन-जीजीआईएम-एपी सम्मेलन: क्षेत्रीय सहयोग से भू-स्थानिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने पर जोर

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)प्रधानमंत्री कार्यालयपरमाणु ऊर्जा विभागअंतरिक्ष विभागकार्मिकलोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सतत विकास के लिए जियो-इनेबलिंग डेटा इकोनॉमी पर यूएन-जीजीआईएम-एपी सम्मेलन और 13वीं यूएन-जीजीआईएम-एपी प्लेनरी मीटिंग में एक वीडियो संदेश के माध्यम से यह सुनिश्चित करने में क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने कहा कि हमारे संसाधनों को प्रभावी ढंग से और जिम्मेदारी से प्रबंधित करने के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और उपयोग के मामलों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया जाए 

सतत विकास के लिए जियो-इनेबलिंग डेटा इकोनॉमी पर यूएन-जीजीआईएम एशिया-प्रशांत सम्मेलन का आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में उद्घाटन किया गया। इसमें एशिया और प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञनीति निर्माता और भू-स्थानिक पेशेवर एक साथ आए। इसमें यूरोपअमेरिकाअरब राज्यों और अफ्रीका के विशेषज्ञों के साथ सहयोगात्मक सत्र शामिल थे।

केंद्रीय मंत्री ने 26 से 29 नवंबर 2024 तक निर्धारित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, "भारत यूएनजीजीआईएम-एपी के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की भू-स्थानिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। साथ मिलकर काम करकेहम सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा कर सकते हैंसामान्य मानक विकसित कर सकते हैंऔर हमारे क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में एक-दूसरे का समर्थन कर सकते हैं - चाहे वह तेजी से शहरीकरण होपर्यावरणीय संबंधी गिरावट हो या प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति हो।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र विविध अर्थव्यवस्थाओं और संस्कृतियों का स्थान हैतथा भू-स्थानिक डेटा के प्रभावी उपयोग से समावेशी विकाससंसाधनों तक समान पहुंच और सभी के लिए सतत विकास सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भारत यूएनजीजीआईएम-एपी के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की भू-स्थानिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत ने क्षेत्रीय पहलों में सक्रिय रूप से भाग लिया है और ज्ञानविशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए सभी सदस्य देशों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, "हम एक खुलेपारदर्शी और समावेशी भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारे क्षेत्र में सतत विकास को आगे बढ़ा सकता है । मैं इस यात्रा पर आगे बढ़ने के साथ-साथ आप सभी के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक हूं। साथ मिलकरहम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जो डेटा-संचालितटिकाऊ और सभी के लिए समान हो।"

30 देशों के लगभग 90 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों और भारत के 120 प्रतिनिधियों के साथयह ज्ञान साझा करनेभू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में प्रगति पर चर्चा करने और सदस्य देशों और यूएन-जीजीआईएम की अन्य क्षेत्रीय समितियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

अंतरराष्ट्रीय भू-स्थानिक संघ (आईएजी)अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षक महासंघ (एफआईजी)तथा संयुक्त राष्ट्र वैश्विक भू-स्थानिक ज्ञान एवं नवाचार केंद्र (यूएन-जीजीकेआईसी)संयुक्त राष्ट्र वैश्विक भू-स्थानिक उत्कृष्टता केंद्र (यूएन-जीजीसीई) जैसे प्रतिष्ठित वैश्विक संगठनों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में भाग लेंगेजो वैश्विक सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के आदान-प्रदानउभरती भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों पर चर्चा और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भू-स्थानिक सूचना के उपयोग को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय रणनीतियों के निर्माण को बढ़ावा देगा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा, "भू-स्थानिक डेटा की शक्ति का सही मायने में दोहन करने के लिएयह आवश्यक है कि हितधारक - सरकारेंव्यवसाय और नागरिक समाज - सहयोग करेंआवश्यक बुनियादी ढांचे में निवेश करें और सुनिश्चित करें कि डेटा सभी के लिए सुलभ और उपयोग करने योग्य हो। सही दृष्टिकोण के साथडेटा अर्थव्यवस्था को भू-सक्षम बनाना वैश्विक सतत विकास एजेंडा को प्राप्त करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभा सकता है।"

यूएन-जीजीआईएम-एपी के अध्यक्ष श्री एंटोनियस बामबांग विजनार्टो ने कहा, "यह सम्मेलन दीर्घकालिक सतत विकास के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग और डेटा संसाधनों के एकीकरण तथा संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने का रास्ता दिखा सकता है।"

भारत के महासर्वेक्षक श्री हितेश कुमार एस. मकवाना ने सम्मेलन में कहा, "चार दिवसीय कार्यक्रम में चर्चा से क्षेत्रीय रणनीति बनाने और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए भू-स्थानिक डेटा की शक्ति का उपयोग करने में मदद मिल सकती है। साथ मिलकर हम साझा चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और सभी के लिए एक टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।"

यह आयोजन वैश्विकक्षेत्रीय और देश स्तर पर आम चुनौतियों के समाधान में भू-स्थानिक डेटा की भूमिका को मजबूत करेगा।