चार शादियां, लाखों की वसूली और झूठी मोहब्बत का जाल — UP की ‘ब्लैक विडो’ दिव्यांशी का परत-दर-परत खुलता चौंकाने वाला गैंग!
- आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार सिंह
कानपुर। यह कहानी एक अपराध-थ्रिलर के नायक-नायिका जैसी लगती है, लेकिन यह न तो फिल्म है और न वेब सीरीज़… यह असल दुनिया की वह खौफ़नाक सच्चाई है जिसने यूपी पुलिस तक को हिला कर रख दिया है। एक मुस्कुराती, साधारण-सी दिखने वाली महिला— दिव्यांशी। चार शादियां… चारों बार दुल्हन वही… और पति भी कोई आम नहीं— दो दारोगा और दो बैंक मैनेजर।

प्यार, भरोसा, शादी और कानून— इन चारों को उसने ऐसा हथियार बनाया कि पढ़े-लिखे, संवेदनशील और ज़िम्मेदार अधिकारी भी उसके जाल में ऐसे फंसे कि निकल ही नहीं पाए।
और जैसे-जैसे पुलिस ने परतें खोलीं, सामने आया एक पूरा गैंग, लाखों की वसूली, झूठे रेप केस और संगठित ठगी का नेटवर्क।
मुस्कान में छुपा ज़हर, जो रिश्तों को 'कमाई' में बदल देता था
कानपुर पुलिस की गिरफ्त में आई दिव्यांशी का तरीका इतना सहज था कि कोई भी उसके इरादों का अंदाज़ा नहीं लगा सकता था। पहले दोस्ती… फिर सहारा… फिर शादी… और अंत में अचानक लगा रेप का मुकदमा, जिसके नाम पर होती थी लाखों की वसूली। पुलिस अधिकारियों का कहना है— “पहले प्यार, फिर भरोसा… और आखिर में मुकदमा। यही थी दिव्यांशी की पूरी कहानी।” लेकिन चौथी शादी में उसकी किस्मत पलटी। जब दारोगा आदित्य कुमार ने उसके झूठ, उसके लेन-देन और उसके पुराने पतियों की कहानियों की परतें खोलनी शुरू कीं, तो सामने आया एक ऐसा जाल, जिस पर किसी को यकीन ही नहीं हो रहा।
मेरठ से शुरू हुआ खेल, जिसमें ‘शिकार’ होते गए पढ़े-लिखे अधिकारी
पहला शिकार: दारोगा प्रेमपाल सिंह पुष्कर
मेरठ में दिव्यांशी की पहचान पुलिसकर्मियों और सामाजिक कार्यक्रमों के जरिए बनी। दुलार, सहानुभूति और मीठी बातें—इन सब में प्रेमपाल खो गए और शादी कर ली। पर कुछ महीनों बाद प्रेमपाल पर लगा रेप का केस। तनाव और समाज की बदनामी के डर से प्रेमपाल ने मोटी रकम देकर समझौता किया। उस वक्त किसी ने नहीं सोचा कि यह सिर्फ शुरुआत है।
दूसरा और तीसरा शिकार: दो बैंक मैनेजर— आशीष राज और अमित गुप्ता
बैंक मैनेजरों के बयान एसआईटी तक पहुंचे तो सब एक जैसा लगा
- पहले वह खुद को अकेला बताती
- फिर भावनात्मक सहारा लेती
- फिर शादी या रिश्ते की ओर इशारा
- और अचानक रेप का आरोप!
दोनों अधिकारियों ने माना कि नौकरी, समाज और परिवार बदनामी के डर से उन्होंने लाखों रुपये देकर मामले निपटाए। दिव्यांशी के आत्मविश्वास में अब पंख लग चुके थे। हर नया रिश्ता उसके लिए एक नई कमाई बनता जा रहा था।
चौथा शिकार: दारोगा आदित्य कुमार, जिसने उसकी चाल पलट दी
फरवरी 2024 में हुई शादी के कुछ सप्ताह सब सामान्य रहे। कि एक दिन आदित्य ने देखा— उनके बैंक खाते से बड़ी रकम एक अनजान नाम— प्रेमपाल— के खाते में जा रही है। अब शक ने जन्म लिया। आदित्य ने
- कॉल रिकॉर्ड,
- सोशल मीडिया,
- उसके पुराने रिश्तों और बैंक ट्रांजैक्शन को खंगालना शुरू किया।
नतीजा सामने था—
दिव्यांशी पहले ही प्रेमपाल की पत्नी रह चुकी थी।
आदित्य ने सारे सबूत जुटाए और पुलिस कमिश्नर तक पहुँचे।
लेकिन चालाक दिव्यांशी भी किसी से कम नहीं—
वह उसी दिन कमिश्नर ऑफिस पहुँच गई और आदित्य पर ही महिलाओं से संबंध रखने का आरोप लगा दिया!
पर इस बार उसकी चाल नहीं चली,
क्योंकि पुलिस के पास आदित्य के पुख्ता सबूत पहले से मौजूद थे।
SIT की जांच: करोड़ों का लेन-देन, पुलिसकर्मियों से नजदीकियां, और ‘गैंग’ का नेटवर्क
पुलिस कमिश्नर ने तुरंत एसआईटी बनाई। तफ्तीश में खुला— तीन बैंक खातों से करोड़ों रुपये का लेन-देन ये रकम उन्हीं पुरुषों से वसूली गई थी। कुछ पुलिसकर्मियों और एक सीओ से करीबी संबंध जिससे वह शिकायतों को मोड़ देती थी।
घर में घुसने का CCTV फुटेज
एक बार वह कुछ पुलिसकर्मियों और दोस्तों के साथ आदित्य के घर जबरन घुसने आई— यह वीडियो जांच में ‘सबसे मजबूत सबूत’ बना। एक महीने तक फरार, लोकेशन बदली, फोन स्विच ऑफ — प्रोफेशनल अपराधियों जैसा संचालन आखिरकार पुलिस ने एक अपार्टमेंट से गिरफ्त में लिया। एसआईटी की रिपोर्ट चौंकाने वाली है— यह सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह है, जिसमें शामिल हैं—
1. दो वकील
2. कुछ पुलिसकर्मी
3. एक महिला साथी
4. और दिव्यांशी मास्टरमाइंड
इस गैंग का निशाना—शिक्षित, अच्छे पदों पर बैठे, स्थिर नौकरी वाले पुरुष,जो सामाजिक बदनामी के डर से समझौता कर लें।
‘मोहब्बत’ के बहाने करोड़ों का खेल — अभी पूरी कहानी खुलनी बाकी
दिव्यांशी की गिरफ्तारी के बाद दारोगा आदित्य कुमार का दर्द छलक पड़ा— “इसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। मेरा पैसा लेकर दूसरों को भेजती रही। मैंने सबूत जुटाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। यह अकेली नहीं— पूरा गिरोह है।” पुलिस सूत्रों का कहना है कि जांच अभी खत्म नहीं— डिजिटल सबूत, लेन-देन, पुराने मामलों की फाइलें और पुलिसकर्मियों के रिश्ते बताता है कि
यह नेटवर्क और बड़ा है। आने वाले दिनों में कई और लोगों को बुलाया जा सकता है। कुछ पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
समाज के लिए सबक
यह मामला सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि विश्वास की आड़ में किया गया संगठित शोषण है। जहां भावनाओं, कानून और रिश्तों के बीच अपराधियों ने एक ऐसी जमीन तैयार की, जहां इंसान डर, शर्म और बदनामी की वजह से चुपचाप समझौता कर लेता है। दिव्यांशी की गिरफ्तारी इस पूरे जाल को तोड़ने की पहली कड़ी है— लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई है।






