इश्क, साजिश और बेरहमी: प्रेम में पगी स्वाति ने परिवार मिटाने की रची थी खौफनाक साजिश — पेंटर योगेश की निर्मम हत्या में प्रेमी मनोज व मंजीत भी गिरफ्तार

क्राइम रिपोर्टर: बदायूं/पाकबड़ा (उत्तर प्रदेश)
बदायूं-पाकबड़ा की शांत दिखने वाली गलियों में छुपा एक ऐसा षड्यंत्र उजागर हुआ है जिसने पुलिस अफसरों के होश उड़ा दिए। 18 सितंबर की सुबह मौढ़ा तैय्या के पास कब्रिस्तान में मिलने वाले युवक के शव की पहचान 21 वर्षीय पेंटर योगेश (गुरैठा) के रूप में हुई — लेकिन जांच में जो सच सामने आया, वह चौंकाने वाला था। प्रेम में पगी स्वाति ने अपने प्रेमी मनोज की मदद से न केवल बेगुनाह योगेश की हत्या करवाई, बल्कि अपने पूरे परिवार को खत्म कराने या जेल भेजने की भी योजनाएँ बना रखी थीं।
कैसे खुला कपाट
पुलिस की शुरुआती तहकीकात में सामने आया कि योगेश की हत्या का साज़िशी तंत्र उसपर ज्यों-का-त्यों पलने वाली पूर्वधारणा से कहीं ज़्यादा जघन्य था। मृतक के भाई उमेश ने पहले शोभाराम, उसके बेटे गौरव और कपिल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी, पर विस्तृत जांच से पता चला कि असल में घटना के幕后 में स्वाति का हाथ था।
एसएसपी सतपाल अंतिल ने बताया कि पूछताछ और घटनास्थल के विश्लेषण से स्वाति व उसके प्रेमी मनोज की साजिश पर प्रकाश पड़ा — और फिर रविवार रात मुठभेड़ के दौरान मनोज व उसके रिश्तेदार मंजीत को पकड़ा गया; बाद में स्वाति को भी गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया।
खौफनाक प्लान और क्रूर अंजाम
जांच की क्रोनोलॉजी (पुलिस व आरोपियों के कबूलनामों के आधार पर) यह है:
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स्वाति और मनोज के बीच प्रेम-संबंध थे। जब परिवार को इनकी बात का शक हुआ तो स्वाति ने प्रेमी की मदद से परिजनों को खत्म करने का खतरनाक इरादा पाल लिया। वह खाने में नींद की गोलियां मिलाकर घरवालों को बेहोश कर मनोज से मिलने निकलती थी — यह उसका प्रारम्भिक तरीका था।
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बाद में उसने सोची-समझी साज़िश रची: यदि परिवार के सदस्य जेल में चले गए तो उसका प्रेमी मनोज उसके साथ फिर मिल सकेगा। इसलिए उसने अपने भाई-पिता को फंसाने की सोची।
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17-18 सितंबर की रात/सुबह की घटनाओं का क्रम यह रहा — मनोज ने योगेश से मिलने का बहाना किया। मनोज, मंजीत और (दूसरे साथियों का ज़िक्र जांच के दौरान आया) ने योगेश को शराब पिलाने का झांसा दे कर उसकी शराब के पैग में 6–7 नींद की गोलियाँ मिला दीं। नशे में चूर होने पर उन्हें कब्रिस्तान के पास ले जाकर मनोज व मंजीत ने ईंट-डंडों से बेरहमी से वार कर उसकी हत्या कर दी।
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हत्या के बाद मनोज ने योगेश के ही मोबाइल से कॉल कराकर ऐसे संकेत दिए कि मामला गौरव/कपिल/शोभाराम द्वारा किए गए पिटाई जैसा दिखे — ताकि जांच का ध्यान गुमराह किया जा सके और स्वाति के पिता-भाइयों का नाम आए। यह कॉल-पैंतरा भी स्वाति ने ही रचा था; उसने मनोज को यह नंबर उपलब्ध कराया था।
आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में कई बातें स्वीकार की हैं — जैसे नींद की गोलियाँ मिलाना, फोन से भ्रमित करने की कॉल करना और हत्या की योजना बनाना।
गिरफ्तारी, पूछताछ और कानूनी कदम
रविवार रात मुठभेड़ के दौरान मनोज और मंजीत गिरफ़्तार हुए; मनोज के पैर में गोली लगी थी। बाद में स्वाति को भी हिरासत में लिया गया। सोमवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया और पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया। एसएसपी सतपाल अंतिल के अनुसार मामले की गहन जांच चल रही है — सभी कॉल-डिटेल, सीसीटीवी फुटेज और घटनास्थल तीव्रता से खंगाले जा रहे हैं।
प्रेम की बीमारी या समाज का संकट?
यह मामला सिर्फ एक खूनी षड्यंत्र नहीं है — यह चेतावनी भी है कि जब निजी रिश्तों में हिंसा डाली जाए और सोच मानवीय सीमाओं को पार कर जाए तो किस तरह निर्दोषों की ज़िंदगियाँ उजड़ सकती हैं। स्वाति-मनोज-मंजीत की गिरफ़्तारी से अपराध के तथ्यों पर पर्दा उठ गया है, पर जांच अभी बाकी सबूतों और घटनाक्रम की पुष्टि करेगी।
पुलिस का कहना है कि मामला बेहद संगीन है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। प्रभावित परिवार व गांव में एफएसटी/कानूनी प्रक्रियाओं के साथ-साथ सामाजिक संवेदनशीलता बरतने की आवश्यकता है।