गाजियाबाद: सर्राफा व्यापारी ने गोली से की आत्महत्या — सुसाइड नोट में तीन कारोबारियों व एक महिला पर एक करोड़ रुपये हड़पने का गंभीर आरोप

- आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार
गाजियाबाद (नंदग्राम)।
शहर की शांत सोसाइटी में बसे एक परिवार की दुनिया उस भयावह घटना से झकझोर उठी जब 32 वर्षीय सर्राफा कारोबारी जितेंद्र कुमार उर्फ जीतू ने बुधवार को अपनी ही गाड़ी में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस दर्दनाक घटना ने न सिर्फ परिजनों को अंधकार में छोड़ दिया, बल्कि शहर में सवालों की एक लंबी कतार खड़ी कर दी है। सुसाइड नोट में तीन सर्राफा कारोबारियों और एक महिला पर करीब एक करोड़ रुपये की हड़पने के गंभीर आरोप लिखे होने से मामले ने सनसनी का रूप ले लिया है।
भूमिका — छोटा-सा पोस्टकोड, बड़ी सी त्रासदी
राजनगर एक्सटेंशन की ऑफिसर सिटी-2 सोसायटी में रहने वाले जितेंद्र, जिनके पास लाइसेंसी पिस्टल भी मिली, दिल्ली के कृष्णानगर में ‘जेएसके’ नाम से ज्वेलरी शॉप चलाते थे। सूचना के मुताबिक वे अपनी पत्नी व दो माह के शिशु के साथ रहते थे। बुधवार दोपहर जब वे कार से सोसाइटी लौटे तो अपने फ्लैट में नहीं गए और देर तक कार में बैठे रहे — तभी शाम करीब तीन बजे गोली की आवाज गूंजी और वहां इकट्ठे लोग जब पहुँचे तो जितेंद्र खून से लथपथ मिले।
विस्तार — सुसाइड नोट, जांच और परिजनों की बेचैनी
पुलिस ने मौके से सुसाइड नोट बरामद किया है जिसमें नामजद आरोपियों के खिलाफ भारी-भरकम वित्तीय गड़बड़ी का उल्लेख है। परिवार के मुताबिक कुछ दिन पहले जितेंद्र ने नंदग्राम थाने में भी इसी लेन-देन से जुड़ी शिकायत दर्ज करवाई थी, परंतु उन्हें संतोषजनक कार्रवाई का भरोसा नहीं मिला। मृतक के भाई अमित का कहना है कि आरोपियों ने उनके भाई को मानसिक प्रताड़ना का सामना कराया, जिससे वह गहरे तनाव में थे।
जांचकर्ता बता रहे हैं कि सुसाइड नोट और अन्य मिले सबूतों की क्रॉफ्टवाइज, डिजिटल व फोरेंसिक जांच जारी है। परिजनों की तहरीर के आधार पर पुलिस एफआईआर दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई कर रही है तथा मामले के संदर्भ में कई पहलुओं की पड़ताल की जा रही है — जिनमें आर्थिक लेन-देन, थाने में दर्ज शिकायत पर हुई कार्रवाई और आरोपितों के साथ मृतक के संबंध शामिल हैं।
मामले का सामाजिक और कानूनी पहलू
इस घटना ने व्यवसायिक विवादों में बढ़ते मानसिक दबाव और आत्महत्या जैसे अति-दुर्भाग्यपूर्ण कदम की चिंताजनक वास्तविकता को दोबारा उजागर कर दिया है। जहां कानूनी प्रक्रिया तथ्यों को उजागर कर सकती है, वहीं परिवार के सदस्यों की भावनात्मक चोट और छोटे नन्हे बच्चे की अनिश्चितता भी गहरी संवेदना मांगती है।
न्याय, पारदर्शिता और संवेदनशीलता की मांग
फिलहाल पुलिस की ओर से कहा जा रहा है कि जांच निष्पक्ष और तेज़ गति से होगी ताकि दोषियों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जा सके। परिजनों और समुदाय की अपील है कि घटना को जल्द से जल्द सुलझाया जाए और परिवार को न्याय मिले। इस बीच शहर के लिए यह एक चेतावनी भी है — आर्थिक विवादों में दबाव को हलके में न लें और समय रहते मानसिक और कानूनी सहारे जुटाएं।
मदद की आवश्यकता है?
अगर आप या कोई जिसे आप जानते हैं, आत्महत्या के ख्याल से जूझ रहा है, तो कृपया यह जान लें कि यह एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी है — तुरंत मदद लें:
-
भारत सरकार जीवनसाथी हेल्पलाइन: 1800-233-3330
-
टेलीमेडिक/टेलिमानस हेल्पलाइन: 1800-914-416
(इन सेवाओं पर आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी और विशेषज्ञ आपको आवश्यक सलाह व समर्थन देंगे। याद रखिए — जान है तो जहां है।)