लखपति दीदी, योजना महिला आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक और कदम
देश भर में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने सामूहिक कार्यप्रणाली और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। इन समूहों का मुख्य लक्ष्य आर्थिक रुप से कमज़ोर नागरिकों के कौशल विकास और आजीविका के साधनों में वृद्धि कर उन्हें स्वरोज़गार के लिए सशक्त बनाना है।
वे अपने कौशल और क्षमता के कारण उच्च आय वर्ग की ओर बढ़ने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। भारत सरकार अब इस बदलाव और ‘लखपति दीदी’ जैसे कार्यक्रमों का काफी सक्रियता से समर्थन कर रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अगस्त, 2024 को महाराष्ट्र के जलगांव में लखपति दीदी सम्मेलन में भाग लिया। वहा उन्होंने 11 लाख नई लखपति दीदियों को प्रमाण पत्र दिए और सम्मानित किया।
लखपति दीदी कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अब तक एक करोड़ से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जा चुका है और सरकार ने 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।[1]
लखपति दीदी स्वयं सहायता समूह की सदस्य होती है, जिसकी वार्षिक पारिवारिक आय एक लाख रुपये (1,00,000 रुपये) या इससे अधिक होती है। इस आय की गणना ऐसे कम से कम चार कृषि सीजन और/ अथवा व्यावसायिक चक्रों के लिए की जाती है, जिसमें औसत मासिक आय 10 हजार रुपये (10,000 रुपये) से अधिक हो ताकि उसकी निरंतरता बनी रहे। लखपति कार्यक्रम सभी सरकारी विभागों/ मंत्रालयों, निजी क्षेत्र और बाजार प्रतिभागियों के बीच तालमेल सुनिश्चित करते हुए आजीविका की विविध गतिविधियों की सुविधा प्रदान करता है।
इस रणनीति में केंद्रित योजना, परिसंपत्ति, फाइनेंस, बाजार, प्रौद्योगिकी आदि के मामले में पर्याप्त व समय पर समर्थन और सभी स्तरों[2] पर कार्यान्वयन एवं निगरानी शामिल हैं। राज्यवार लक्ष्यों की जानकारी के लिए यहां यहां क्लिक करें।
एसएचजी के सदस्यों को लखपति दीदी बनने में सक्षम करने के लिए उठाए गए कदम
लखपति दीदीयों को समर्थ बनाने के लिए मंत्रालय ने पांच चरणों की प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- संभावित लखपति दीदियों की पहचान।
- मास्टर ट्रेनर और कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन का एक पूल तैयार करना।
- स्वयं सहायता समूहों व उसके संघों, कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन, मास्टर ट्रेनर और इस कार्यक्रम का समर्थन करने वाले कर्मचारियों/ विशेषज्ञों जैसे विभिन्न हितधारकों का व्यापक प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण।
- संभावित लखपति दीदियों को विभिन्न आजीविका मॉडलों पर प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण एवं संपर्क के लिए दौरे और स्वयं सीखने के लिए उपयुक्त दस्तावेजों को सुलभ बनाना।
- पहचान किए गए परिवारों के लिए लखपति योजना तैयार करना, विभिन्न योजनाओं को समेकित करना और उत्पाद एवं/ अथवा सेवा क्लस्टर का विकास, मूल्य श्रृंखला में हस्तक्षेप, विभिन्न हितधारकों, सरकारी योजनाओं, निजी क्षेत्र की भागीदारी आदि के साथ तालमेल स्थापित करना।
- सहारा एवं लिंकेज के लिए पहचान की गई दीदियों के साथ कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन की मैपिंग।
- आजीविका संबंधी गतिविधियों और आय का समय-समय पर खुलासा (कृषि सीजन से जुड़ी 6 महीने की अवधि और/या व्यवसाय चक्र पूरा होने पर) करने के लिए डिजिटल आजीविका रजिस्टर।
संभावित लखपति दीदियों की पहचान के मानदंड
संभावित लखपति दीदियों की पहचान करते समय स्वयं सहायता समूहों की सभी श्रेणियों (सामाजिक और आर्थिक) को समान अवसर दिया जाता है। परामर्श प्रक्रिया के जरिये संभावित लखपति दीदियों की पहचान की जाती है।
लखपति दीदी पर कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के प्रशिक्षण में शामिल विषय
कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन जमीनी स्तर पर मंत्रालय के स्तंभ हैं और वे लखपति दीदी आजीविका योजना तैयार करने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। उनके लिए दो दिवसीय व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है, जिसमें उनकी भूमिका के लिए आवश्यक ज्ञान एवं कौशल को ध्यान में रखा गया है।
(लखपति दीदी पर कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के लिए प्रशिक्षण सामग्री का लिंक: यहां से डाउनलोड करें)
लखपति दीदियों को सक्षम बनाने की रणनीति
स्वयं सहायता समूह परिवारों को आजीविका में सार्वभौमिक कवरेज और लखपति दीदियों को सक्षम बनाने के लिए चार प्रमुख रणनीतियां इस प्रकार हैं:
लखपति दीदियों को सक्षम बनाने में मददगार कार्यक्रम/ परियोजनाएं
डीएवाई-एनआरएलएम में महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों की आजीविका बढ़ाने पर केंद्रित विभिन्न हस्तक्षेप हैं। लखपति दीदीयों के लिए मददगार प्रमुख हस्तक्षेप इस प्रकार हैं:
स्वयं सहायता समूहों और उसके सदस्यों के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायता
लखपति दीदी योजना विभिन्न वित्तीय साधनों के जरिये आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण प्रदान करती है। इन वित्तीय साधनों को ऋण तक पहुंच बढ़ाने, उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने और देश भर में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) एवं व्यक्तिगत उद्यमियों के बीच वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
पूंजी जुटाने में मदद
- रिवॉल्विंग फंड: आंतरिक तौर पर ऋण देने की प्रक्रिया को गति देने और सदस्यों की तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में समर्थ बनाने के लिए हरेक पात्र स्वयं सहायता समूह को 20,000 से 30,000 रुपये दिए जाते हैं।
- सामुदायिक निवेश कोष (सीआईएफ): यह वित्तीय सहायता केवल स्वयं सहायता समूहों और उनके संघों को ऋण देने के लिए दी जाती है ताकि सदस्य सूक्ष्म ऋण/ निवेश योजनाओं के अनुसार सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियां कर सकें। सामुदायिक निवेश कोष के तहत स्वीकार्य अधिकतम रकम 2.50 लाख रुपये प्रति स्वयं सहायता समूह है।
बैंक ऋण
- स्वयं सहायता समूहों के लिए 20 लाख रुपये तक का बिना किसी रेहन के बैंक ऋण।
- ब्याज अनुदान: महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैंकों/ वित्तीय संस्थानों से लिए गए सभी ऋण पर बैंकों की ब्याज दर और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर को कवर करने के लिए प्रति स्वयं सहायता समूह अधिकतम 3,00,000 रुपये का ब्याज अनुदान।
- ओवरड्राफ्ट सुविधा: जन-धन खाता रखने वाली स्वयं सहायता समूह के हर महिला सदस्य 5,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट (ओडी) सीमा के लिए पात्र है।
वुमेन एंटरप्राइज एक्सेलेरेशन फंड
यह स्वयं सहायता समूह की महिला उद्यमियों को व्यवहार्य उद्यमों में निवेश करने, नए व्यवसाय शुरू करने, मौजूदा उद्यमों के विकास एवं विस्तार के लिए मध्यावधि से लेकर दीर्घकालिक ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक समर्पित कोष है।
1. व्यक्तिगत उद्यमों के लिए
- उद्यमों को 5 वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए 5 लाख रुपये तक के लिए ऋण गारंटी सहायता।
- 3 वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए 1.5 लाख रुपये तक के ऋण पर ब्याज अनुदान।
2. उद्यम समूहों/ एफपीओ के लिए
- उद्यम समूहों/ एफपीओ को ऋण देने वाली संस्थाओं को दी गई कुल उधारी का 50 प्रतिशत (अथवा 2 करोड़ रुपये तक में भी कम हो) तक कोलेटरल सपोर्ट।
- क्रेडिट गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति: ऋण देने वाले संस्थानों को 5 वर्ष की अवधि के लिए अधिकतम 5 करोड़ रुपये के ऋण पर लगाए गए शुल्क।
- महिला समूहों को प्रोत्साहन: समूह को अधिकतम 25 लाख रुपये या ली गई उधारी का 10 प्रतिशत प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
लखपति मार्गदर्शक
लखपति मार्गदर्शक इस मिशन के कर्मचारियों, सामुदायिक संगठनों, कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन, स्वयं सहायता समूह की दीदियों एवं अन्य हितधारकों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज है। यह लखपति दीदी कार्यक्रम के निम्नलिखित पहलुओं का विवरण देता है।
लखपति दीदियों का क्षमता निर्माण
भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से संभावित लखपति दीदियों (स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों) को प्रशिक्षित करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए कैस्केड प्रशिक्षण रणनीति अपनाई गई है। कैस्केड प्रशिक्षण की शुरुआत विशेषज्ञों की एक टीम की पहचान के साथ होती है। इसके तहत लखपति दीदी रणनीति और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को लखपति दीदी बनने में सक्षम करने से संबंधित सभी प्रासंगिक विषयों पर देश भर में रिसोर्स पर्सन को प्रशिक्षित किया जाता है। उसके बाद रिसोर्स पर्सन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षित करते हैं, जो मुख्य रूप से राज्य के रिसोर्स पर्सन होते हैं और उनकी पहचान राज्य इकाइयों द्वारा की जाती है। ये मास्टर ट्रेनर कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन को प्रशिक्षित करते हैं जिन्हें राज्य मिशनों द्वारा पहचानी गई संभावित लखपति दीदियों के प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन के लिए चुना जाता है।
लखपति दीदी पहल के तहत प्रगति
इस मिशन ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सशक्त बनाने के अपने प्रयास के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आजीविका में वृद्धि के लिए महिलाओं का समूह बनाने, उनके संघों को मजबूती देने, उन्हें आजीविका के लिए ज्ञान एवं कौशल प्रदान करने, वित्तपोषण एवं ऋण सहायता आदि के लिए ठोस प्रयास किए हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत सरकार ने डीएवाई-एनआरएलएम के लिए 15,047.00 करोड़ रुपये के बढ़े हुए बजटीय परिव्यय का प्रस्ताव दिया है। इससे स्वयं सहायता समूह के सदस्यों की आजीविका के लिए हस्तक्षेप बढ़ाने में मदद मिलेगी। ये हस्तक्षेप न केवल स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगे बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास को रफ्तार भी देंगे।[3]
जुलाई, 2024 तक इस मिशन के तहत हासिल प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
आउटरीच
लखपति दीदी पहल ने देश के विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों में महत्वपूर्ण कवरेज हासिल की है। इस मिशन ने अपनी व्यापक रणनीति के तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली एवं चंडीगढ़ को छोड़कर) के 742 जिलों के 32 ब्लॉकों को कवर किया है। इससे देश भर में इस कार्यक्रम के व्यापक कार्यान्वयन का पता चलता है।
प्रगति
लखपति दीदी पहल ने प्रशिक्षित व्यक्तियों एवं संभावित लाभार्थियों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करते हुए ग्रामीण समुदायों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इस योजना ने 6,611 मास्टर ट्रेनर और 3 लाख कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) तैयार किए हैं जो ग्रामीण महिलाओं की वित्तीय आजादी की दिशा में मदद एवं मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इसके अलावा, इस योजना ने देश भर में 2.47 करोड़ संभावित लखपति दीदियों (पीएलडी) की पहचान की है और उन्हें सहारा दिया है। साथ ही, डिजिटल आजीविका रजिस्टर में 44 लाख व्यक्तियों को पंजीकृत किया गया है, जिससे इस योजना की डिजिटल पहुंच बढ़ी है। यह सामूहिक प्रयास महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने में इस योजना की परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करता है।
सफलता की कहानी
दुलेश्वरी देवांगन
राज्य : छत्तीसगढ़
जिला: राजनांदगांव
ब्लॉक : डोंगरगांव
गांव : कोनारी
स्वयं सहायता समूह: संध्या महिला एसएचजी
आजीविका गतिविधियां: ई-रिक्शा चालक
लखपति दीदी का सफर
दुलेश्वरी देवांगन को एक छोटी सी दुकान चलाने में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए उससे पर्याप्त आय नहीं हो रही थी। मगर उन्होंने एक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) में शामिल होकर एक परिवर्तनकारी कदम उठाया। समूह के लिए ई-बुक कीपर के रूप में नियुक्त होकर उन्होंने अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए काफी सक्रियता से आजीविका के अवसरों की तलाश की। समर्पित प्रयासों और आजीविका प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये दुलेश्वरी ने ई-रिक्शा योजना से 50,000 रुपये का ऋण प्राप्त किया। इस वित्तीय प्रोत्साहन से उन्हें न केवल आवश्यक पूंजी उपलब्ध हुई, बल्कि उनके आस-पास के माहौल से इतर उनमें आत्मविश्वास पैदा हुआ और अनुभव भी मिला। दुलेश्वरी की यात्रा उद्यमिता के लिए प्रोत्साहन का प्रतीक बन गई, जिससे उन्हें समाज में एक विशेष पहचान मिली। वर्तमान में, वह एक स्थायी आजीविका का आनंद उठा रही है और प्रति माह 12,000 से 15,000 रुपये कमाती है। दुलेश्वरी की कहानी लोगों को ऊपर उठाने और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने में स्वयं सहायता समूहों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और उद्यमशीलता के प्रयासों की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण है।
|
बिन्दु देबनाथ
राज्य : त्रिपुरा
जिला : दक्षिण त्रिपुरा
ब्लॉक : सतचंद
गांव : मगुरचरा
स्वयं सहायता समूह : नारी शक्ति महिला दल
आजीविका गतिविधियां : बकरी पालन, खेती और सर्दियों के कपड़े
लखपति दीदी का सफर
भारत के एक जीवंत इलाके में नारी शक्ति महिला दल ने खूब तरक्की की है। एक स्वयं सहायता समूह में शामिल होकर उन्होंने ऋण के जरिये वित्तीय स्वतंत्रता हासिल की और नई आजीविका शुरू की। उन्होंने डीएवाई- राष्ट्रीय आजीविका मिशन त्रिपुरा से सहायता मांगी और वैज्ञानिक पशुधन प्रबंधन में महारत हासिल की। मगर उनकी महत्वाकांक्षाएं यहीं नहीं रुकीं बल्कि आगे बढ़ गईं। उन्होंने अपनी आय के स्रोतों में विविधता लाते हुए विभिन्न आजीविकाओं को अपनाया। इस प्रकार 25,000 से 30,000 रुपये की औसत मासिक आय के साथ उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ एक ढाल का निर्माण किया। वह अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत और सामूहिक कार्य एवं सशक्तिकरण की परिवर्तनकारी ताकत का प्रमाण हैं। उनकी कहानी, उम्मीद की किरण, बताती है कि भविष्य उन लोगों का है जो उसे नए सिरे से लिखने का साहस करते हैं। |
लखपति दीदी समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वे न केवल अपनी आय के लिए, बल्कि स्थायी आजीविका प्रथाओं (कृषि अथवा गैर-कृषि या सेवा) को अपनाने, संसाधनों का प्रभावी तौर पर प्रबंधन करने और एक उम्दा जीवन स्तर हासिल करने की अपनी परिवर्तनकारी यात्रा के लिए भी अनुकरणीय हैं।