राजकोट पुलिस थाने में नाबालिग पर थर्ड डिग्री: हंसी-मज़ाक में उड़ती रही इंसानियत

राजकोट पुलिस थाने में नाबालिग पर थर्ड डिग्री: हंसी-मज़ाक में उड़ती रही इंसानियत

राजकोट। गुजरात के राजकोट से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसने पुलिस व्यवस्था और मानवीय संवेदनाओं पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। गांधीग्राम पुलिस स्टेशन के भीतर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है, जिसमें एक नाबालिग आरोपी को थर्ड डिग्री जैसी अमानवीय यातना दी जा रही है।

थाने के भीतर का खौफनाक मंजर

वीडियो में देखा जा सकता है कि थाने में मौजूद सफाईकर्मी शैलेश नाबालिग आरोपी के बालों को बेरहमी से नोच-नोचकर उखाड़ रहा है। दर्द से कराहता नाबालिग बार-बार मिन्नतें करता है कि उसके बाल कैंची से काट दिए जाएं, लेकिन उसे इस अमानवीय पीड़ा से बचाया जाए। मगर हैरत की बात यह रही कि आरोपी सफाईकर्मी शैलेश हंसते हुए इस क्रूरता को अंजाम देता रहा और वहां मौजूद पुलिसकर्मी मानो तमाशबीन बनकर अपने रोज़मर्रा के काम में व्यस्त दिखे।

31 अगस्त की घटना, थाने का "खास" शख्स

यह दिल दहला देने वाली घटना 31 अगस्त की बताई जा रही है। उस दिन चाकू से हमला करने के मामले में चार आरोपियों को थाने लाया गया था, जिनमें एक नाबालिग भी शामिल था। जांच में सामने आया कि इस नाबालिग के साथ थर्ड डिग्री जैसी बर्बरता करने वाला शैलेश कोई पुलिसकर्मी नहीं बल्कि थाने का सफाईकर्मी था, जो पुलिसवालों का खास माना जाता है।

जिम्मेदारों पर कार्रवाई के आदेश

वीडियो वायरल होने के बाद ज़ोन-2 के डीसीपी राकेश देसाई ने कहा कि आरोपी शैलेश के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही घटना के दौरान मौजूद पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच कराई जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एसीपी को तत्काल जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

विधायक ने उठाई आवाज़

इस पूरे मामले पर स्थानीय विधायक डॉ. दर्शिता शाह ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि थाने के भीतर ऐसी बर्बरता लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून-व्यवस्था के लिए शर्मनाक है।

सवालों के घेरे में पुलिस व्यवस्था

यह घटना केवल एक वीडियो या एक थाने तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की जवाबदेही पर सवाल उठाती है। जब थाने जैसी जगह, जहां से जनता न्याय और सुरक्षा की उम्मीद रखती है, वहीं अमानवीयता का अड्डा बन जाए, तो विश्वास की बुनियाद हिलना स्वाभाविक है।

राजकोट की यह घटना समाज और व्यवस्था दोनों को गहरा झकझोरती है। नाबालिग के साथ हुई इस बर्बरता ने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया है बल्कि पुलिस व्यवस्था की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन और सरकार कितनी तत्परता से दोषियों को सजा दिलाने में कदम उठाती है, ताकि आगे किसी निर्दोष को न्याय की चौखट पर इस तरह की यातना न झेलनी पड़े।