मराठा आरक्षण की आग और गहराई: मनोज जरांगे की भूख हड़ताल चौथे दिन भी जारी, सरकार को दी सख्त चेतावनी

महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आरक्षण को लेकर उठे सवाल एक बार फिर उफान पर हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल आज चौथे दिन में प्रवेश कर चुकी है। मुंबई के आज़ाद मैदान में डटे जरांगे ने साफ शब्दों में कह दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं—चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी बड़ी क़ीमत क्यों न चुकानी पड़े।
जरांगे ने सरकार से मांग की है कि 58 लाख उपलब्ध रिकॉर्ड्स के आधार पर यह स्वीकार किया जाए कि मराठा समुदाय दरअसल कुंबी जाति का ही हिस्सा है, जिसे पहले से ही ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल रहा है। जरांगे का कहना है कि इन ठोस सबूतों के आधार पर सरकार को तत्काल एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी करना चाहिए और मराठा समाज को न्याय देना चाहिए।
जरांगे का तेवर इतना सख्त है कि उन्होंने यहां तक कह दिया—
"भले ही फडणवीस सरकार हम पर गोलियां चलाए, लेकिन हम तब तक विरोध स्थल से नहीं हटेंगे जब तक मराठा समाज को उसका हक़ नहीं मिलता।"
उन्होंने देवेंद्र फडणवीस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जब वे मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्होंने धनगर समाज को आरक्षण देने और किसानों का ऋण माफ करने का वादा किया था, लेकिन आज तक वादे अधूरे ही हैं। जरांगे ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने मराठा समाज की मांग नहीं मानी, तो “आप एक ग्राम पंचायत सीट भी जीतने लायक नहीं रहेंगे।”
इस बीच, राज्य मंत्री और कैबिनेट की उप समिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा है कि सरकार कानूनी परामर्श लेगी और जरांगे की मांगों के आधार पर हैदराबाद और सतारा गजेट्स से मदद की संभावनाएं तलाशेगी।
आंदोलन स्थल पर जरांगे के साथ हजारों लोग डटे हुए हैं।
यहां सामाजिक कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों की भूमिका भी अहम रही। सुनील विष्णु चिलप, सकल मराठा समाज खांदा कॉलोनी, नवी पनवेल, पिछले कई दिनों से आंदोलनकारियों को रुकने, भोजन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। शुक्रवार की रात उन्होंने अपने हाथों से सैकड़ों लोगों को भोजन कराया, जिसके लिए पूरे समाज ने उनका आभार जताया।
सुनील चिलप का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ एक समुदाय का नहीं, बल्कि न्याय की आवाज़ है। यही वजह है कि वे महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से आए हजारों लोगों की सेवा में तन-मन-धन से जुटे हैं।
आजाद मैदान से उठ रही यह आवाज़ अब सिर्फ मराठा समाज की नहीं रही, बल्कि महाराष्ट्र की सियासत के भविष्य का फैसला करने वाली लहर बन चुकी है।
संक्षिप्त हेडलाइंस:
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मनोज जरांगे की भूख हड़ताल चौथे दिन, आरक्षण पर सरकार को अल्टीमेटम।
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58 लाख रिकॉर्ड्स पेश – “मराठा भी हैं कुंबी, आरक्षण हमारा हक़।”
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जरांगे का ऐलान – “गोलियां चलाओ, पर आंदोलन नहीं रुकेगा।”
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समाजसेवी सुनील चिलप ने आंदोलनकारियों को भोजन व सुविधा दी।
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महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आरक्षण फिर बना सबसे बड़ा मुद्दा।