दिल्ली ब्लास्ट में मेरठ के मोहसिन की मौत: दो साल पहले रोज़गार के लिए आए थे दिल्ली, अब घर लौटी लाश — रोती रही पत्नी, बिलखते रहे बच्चे
दिल्ली | लालकिला इलाके में हुए भयावह ब्लास्ट ने एक और मासूम ज़िंदगी छीन ली। इस बार शिकार बने मेरठ निवासी मोहसिन (35) — एक साधारण इंसान, जो अपने परिवार के बेहतर भविष्य के लिए दो साल पहले मेरठ से दिल्ली आए थे। ई-रिक्शा चलाकर घर चलाने वाले मोहसिन की जिंदगी उस दिन की हिंसा में हमेशा के लिए थम गई। मोहसिन अपने दो छोटे बच्चों और पत्नी के साथ दिल्ली में किराए के मकान में रहते थे। रोज सुबह ई-रिक्शा लेकर निकलते और रात को बच्चों के लिए टॉफी और मुस्कान लेकर लौटते। लेकिन उस दिन — धमाके के बाद वे लौटे तो सिर्फ खबर बनकर। परिजनों के अनुसार, मोहसिन को हाल ही में एक नई रिक्शा मिली थी और वे उम्मीद कर रहे थे कि अब कमाई कुछ बेहतर होगी। लेकिन किस्मत को शायद यह मंजूर नहीं था। ब्लास्ट की आवाज़ के बाद उन्हें गंभीर चोटें आईं, और कई घंटों की जद्दोजहद के बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
मेरठ के उनके पैतृक घर में अब सन्नाटा पसरा है। मोहसिन के बूढ़े पिता बार-बार यही कह रहे हैं —
“वो तो काम करने गया था… क्या पता था, अब कभी लौटेगा ही नहीं।”
पत्नी बेहोशी की हालत में है, जबकि बच्चे बार-बार दरवाज़े की ओर देख रहे हैं —
“अम्मी, अब्बू आएंगे न?”
यह दृश्य किसी भी इंसान के दिल को हिला देने के लिए काफी है।
दिल्ली ब्लास्ट ने न केवल देश की राजधानी की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि आतंक की मार सबसे पहले आम इंसान पर ही पड़ती है।
अब सवाल सिर्फ इतना है —
कब तक निर्दोष मोहसिन जैसे लोग इस हिंसा की आग में झुलसते रहेंगे?
कब तक किसी बच्चे को अपने पिता की तस्वीर देखकर रोना पड़ेगा?
मोहसिन अब नहीं रहे, लेकिन उनकी कहानी देश की उस सच्चाई को बयां करती है, जो हर आतंकी वारदात के बाद छूटे सन्नाटे में गूंजती है — “वो बस अपना घर चलाना चाहता था।”






