सूरत से भदोही तक पसरी मातम की लकीर | एक मेहनतकश की अचानक मौत, कई सवालों के साथ छोड़ गई…

सूरत से भदोही तक पसरी मातम की लकीर | एक मेहनतकश की अचानक मौत, कई सवालों के साथ छोड़ गई…

 ड्राइवर रामदीन की तबीयत बिगड़ी, कुछ ही देर में मौतपरिवार में कोहराम, कंपनी के रवैये पर उठे गंभीर सवाल

·        आर.वी.9 न्यूज़ | रजनीश कुमार चंद्रवंशी


सूरत, गुजरात | मेहनत-मशक्कत की जिंदगी जीते हुए अपने परिवार का सहारा बने 45 वर्षीय रामदीन यादव, मूल रूप से ग्राम लालनगर, रामपुर, भदोही (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। शुक्रवार सुबह भी वे हजीरा के इच्छापोर स्थित गैरेज में गाड़ी का काम कराने पहुँचे थे। किसे पता था कि यही सुबह उनकी जिंदगी की आखिरी सुबह बन जाएगी।


एक साधारण ड्राइवर, जिसकी असाधारण मेहनत आज सवालों के घेरे में

टेलर (ट्रेलर) गाड़ी चलाकर अपने परिवार का पेट पालने वाला यह व्यक्ति कई वर्षों से सीकिंग शिपिंग ट्रांसपोर्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, हजीरा में कार्यरत था। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार सुबह लगभग 6 बजे वे वाहन की मरम्मत के लिए गैरेज पहुँचे। एक टायर खोलते समय अचानक उन्हें सीने में तेज दर्द महसूस हुआ। उनकी हालत बिगड़ती देख साथी कर्मियों ने तुरंत 108 एम्बुलेंस बुलवाई और उन्हें न्यू सिविल हॉस्पिटल, सूरत भेजा गया। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर थाहॉस्पिटल पहुँचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह खबर सुनते ही परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।


मौके पर नहीं पहुंचे कंपनी मालिकमजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल

घटना की सूचना मिलते ही मृतक के परिजन

  • साले श्यामनारायण यादव,
  • मामा के लड़के शिवशंकर,
  • मौसी के लड़के विनोद यादव,
  • साथ काम करने वाले ड्राइवर अभिनेश और रवि यादव

मौके पर पहुँचे और शव को एम्बुलेंस के माध्यम से गांव के लिए रवाना कराया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि कंपनी के मालिक और मैनेजर घटना स्थल पर नहीं पहुँचे
केवल मेंटेनेंस सुपरवाइजर सुबाष यादव कुछ देर बाद पहुँचे। जब आर.वी.9 न्यूज़ की टीम ने सुपरवाइजर से बात की तो पता चला कि

  • कंपनी प्राइवेट लिमिटेड होने के बावजूद वेतन कैश में दिया जाता है,
  • मृतक रामदीन का वेतन सिर्फ 7,000 रुपये था,
  • इसके अलावा उन्हें ट्रिप के अनुसार थोड़ा-बहुत कमिशन मिलता था।

इतनी बड़ी कंपनी में काम करने वाले ड्राइवरों को कैश में वेतन देना, वह भी इतनी कम राशि, श्रमिक अधिकारों और कंपनी की नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।


परिवार की स्थिति: एक पिता की जिम्मेदारी अधूरी रह गई

मृतक के परिवार में

  • माता,
  • पत्नी दुर्गावती देवी,
  • दो बेटे राहुल यादव (25 वर्ष) और कृष्ण मुरारी (22 वर्ष)

आज सहारे से वंचित हो गए हैं। जो व्यक्ति रोज़ अपने परिवार के लिए संघर्ष करता था, वही अब नहीं रहा। परिवार स्तब्ध है, गाँव में मातम पसरा हुआ है।


क्या कंपनी देगी परिवार का साथ? जवाब का इंतजार

अब सबसे बड़ा सवाल यह है किक्या कंपनी रामदीन यादव के परिवार के लिए आगे आएगी? क्या उन्हें उचित मुआवज़ा, बीमा लाभ या किसी तरह की सहायता दी जाएगी? एक मेहनतकश परिवार का सहारा छिन चुका है, एक माँ, पत्नी और दो बेटे अब सिर्फ न्याय और सहयोग की उम्मीद पर टिकी निगाहों से देख रहे हैं। समाज और मजदूर वर्ग से जुड़े लोग भी यह पूछ रहे हैं किक्या कभी इन मेहनतकशों की जिंदगी का मूल्य समझा जाएगा? क्या कंपनियों का रवैया बदलेगा? फिलहाल परिवार और समाज दोनों प्रतीक्षा में हैंदेखना है कि कंपनी इस दुख की घड़ी में क्या कदम उठाती है।