फिदायीन हमले की गूंज दिल्ली में... लाल किले के सामने दहला देश, कार में सवार तीन संदिग्धों की मौत से उठे कई सवाल
- आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार
दिल्ली की ऐतिहासिक पहचान — लाल किला। मंगलवार की शाम, जब सामान्य दिनों की तरह यहां सैलानियों और स्थानीय लोगों की चहल-पहल थी, तभी एक ज़ोरदार धमाके ने पूरे इलाके को हिला दिया। कुछ ही पलों में सायरनों की आवाज़, धुएं का गुबार और भगदड़ का माहौल बन गया। लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास हुई यह घटना इतनी भयावह थी कि लोगों ने एक चलती कार को धमाके के साथ आग की लपटों में घिरते देखा। शुरुआती जांच ने अब जो संकेत दिए हैं, वह देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती बनकर सामने आए हैं — क्या यह फिदायीन हमला था या किसी निर्दोष की कार में छुपाया गया बम फट पड़ा?
घटना का सिलसिला :

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वह एक सफेद रंग की कार थी, जो मेट्रो स्टेशन के सामने से गुजर रही थी। कार में तीन लोग सवार थे। चश्मदीद बताते हैं कि “हमने कार को अचानक रुकते देखा, जैसे किसी ने ब्रेक दबाई हो, और अगले ही पल ज़ोरदार धमाका हुआ। कार के दरवाज़े उड़ गए, और शरीर के टुकड़े सड़क पर बिखर गए।”
स्थानीय लोगों के मुताबिक, धमाके की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि आसपास की इमारतों की खिड़कियाँ तक हिल गईं। इलाके में अफरा-तफरी मच गई, लोग जान बचाने के लिए दौड़ पड़े। पुलिस और एम्बुलेंस की टीम कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया। देर रात तक अस्पताल प्रशासन ने 20 घायलों और 8 मृतकों की सूची जारी की।
धमाके की तीव्रता देखकर एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी), एनएसजी (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने संयुक्त रूप से जांच अपने हाथ में ले ली।
जांच की दिशा : फिदायीन या प्लांटेड बम?
जांच एजेंसियों के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यही है —
???? क्या ये तीनों शख्स फिदायीन हमलावर थे, जो कार में बैठे-बैठे खुद को उड़ाने निकले थे?
या फिर किसी मासूम की कार में बम पहले से फिट कर दिया गया था, जिसे वो अनजाने में चला रहा था?
स्पेशल सेल के एक अधिकारी ने बताया कि मौके से धातु के टुकड़े, वायरिंग और विस्फोटक रासायनिक अवशेष बरामद किए गए हैं। इनसे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस्तेमाल किया गया विस्फोटक उच्च क्षमता वाला इंडस्ट्रियल ग्रेड बम था।
फॉरेंसिक टीम ने कार के मलबे से मिले मानव अवशेषों और रक्त के नमूनों को डीएनए जांच के लिए भेजा है। अधिकारियों के अनुसार, “शव की हालत इतनी बुरी थी कि पहचान करना बेहद मुश्किल हो गया है। शरीर के चिथड़े उड़े हुए थे, जिससे यह भी तय नहीं हो पा रहा कि वह कार का चालक था या किसी और का साथी।”
प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही : मौत को अपनी आंखों से देखा
कई चश्मदीदों ने बताया कि धमाके से कुछ सेकंड पहले कार की खिड़कियों से एक हलचल सी नजर आई थी। एक युवक शायद घबरा रहा था या कुछ कहने की कोशिश कर रहा था। तभी ज़ोरदार धमाका हुआ। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा,
“हमने उन तीनों को जिंदा देखा था… और फिर कुछ ही पल में उन्हें मरते हुए। शरीर के टुकड़े चारों तरफ बिखर गए थे।”
यह बयान सुरक्षा एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण सुराग बन गया है — क्योंकि इससे यह शक और गहराता है कि धमाका अंदर बैठे लोगों की किसी हरकत से हुआ या कार में पहले से फिट किए गए डिवाइस के फटने से।
दिल्ली में सुरक्षा अलर्ट – हाईवे से एयरपोर्ट तक सख्ती
धमाके के बाद दिल्ली पुलिस ने राजधानी में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। बॉर्डर चेकपोस्टों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) ने भी आस-पास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी है।
लाल किला, इंडिया गेट, संसद भवन और एयरपोर्ट क्षेत्र में सुरक्षाबलों की तैनाती दोगुनी कर दी गई है। सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि “यह हमला एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा भी हो सकता है, जिसकी पड़ताल अब राष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है।”
सवाल अब भी बाकी हैं...
दिल्ली जैसे हाई सिक्योरिटी ज़ोन में लाल किले के सामने यह विस्फोट अपने आप में बड़ा सवाल छोड़ गया है —
क्या यह हमला किसी आतंकी संगठन की चेतावनी थी?
या फिर किसी निर्दोष की कार में प्लांट किया गया बम किसी गलती से फट गया?
फिलहाल, जांच जारी है। एनआईए और एनएसजी के अफसरों ने कहा है कि “प्राथमिक सबूतों के आधार पर कुछ बड़ा सामने आ सकता है।”
देश की राजधानी में हुए इस धमाके ने लोगों के मन में फिर वही डर ताज़ा कर दिया है —
क्या दिल्ली फिर किसी साजिश के निशाने पर है?






