आवाज़ों को सशक्त बनाना, लोकतंत्र को मजबूत करना

आवाज़ों को सशक्त बनाना, लोकतंत्र को मजबूत करना


— स्वतंत्र मीडिया की ताक़त और पारदर्शिता के नए युग का उत्सव

भारत आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2025 के विशेष अवसर पर उस शक्ति को सलाम करता है, जो सिर्फ खबरें नहीं लिखती—बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती, समाज को दिशा और नागरिकों को जागरूकता देती है। हर वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाने वाला यह दिन भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना का प्रतीक है, और एक स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा ज़िम्मेदार मीडिया की भूमिका को याद दिलाता है।


 स्वतंत्र पत्रकारिता का पर्व – लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नए आयामों पर

इतिहास गवाह है कि जब-जब समाज में बदलाव की जरूरत हुई है, पत्रकारिता ने अपनी सशक्त कलम से देश की चेतना को जगाया है। आज, भारत का मीडिया परिदृश्य पहले से कहीं ज्यादा व्यापक, आधुनिक और प्रभावशाली बन चुका है। इसका प्रमाण है:

  • 2004-05 में 60,143 पंजीकृत प्रकाशन → 2024-25 में 1.54 लाख का रिकॉर्ड स्तर
    यह वृद्धि सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि देश में लोगों की आवाज़ों, विचारों और मुद्दों की विविधता का उत्सव है।


भारतीय प्रेस परिषद: पत्रकारिता की स्वतंत्रता की प्रहरी

1966 में स्थापित और 1979 में पुनर्गठित भारतीय प्रेस परिषद (PCI) वह स्तंभ है, जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रेस बाहरी दबावों से मुक्त रहे और उच्च नैतिक मानकों को कायम रखे।

PCI की प्रमुख पहलें

  • प्राकृतिक आपदाओं की रिपोर्टिंग के लिए संवेदनशील दिशानिर्देश

  • एलजीबीटीक्यू+ समुदाय की निष्पक्ष मीडिया कवरेज पर रिपोर्ट

  • पत्रकारिता आचार संहिता का समय–समय पर अद्यतन

  • नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया सहित कई देशों की प्रेस परिषदों से सहयोग

PCI एक ऐसी ढाल है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की नैतिकता दोनों की रक्षा करती है।


मीडिया का भविष्य डिजिटल—प्रेस सेवा पोर्टल की बड़ी छलांग

सरकार ने प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण अधिनियम 2023 और प्रेस सेवा पोर्टल के माध्यम से मीडिया विनियमन को पूरी तरह डिजिटल बना दिया है।

महज 6 महीनों में उपलब्धियां

  • 40,000 प्रकाशक पोर्टल से जुड़े

  • 37,000 वार्षिक विवरण दाखिल

  • 3,000 प्रिंटिंग प्रेस पंजीकृत

ऑटोमेशन की खासियतें

  • QR कोड आधारित डिजिटल प्रमाणपत्र

  • पेपरलेस प्रक्रिया एवं ई-सिग्नेचर

  • रीयल-टाइम ट्रैकिंग

  • एआई चैटबॉट आधारित सहायता

ये बदलाव आधुनिक भारत की डिजिटल पत्रकारिता के नए युग की तस्वीर पेश करते हैं।


IIMC – भारतीय मीडिया शिक्षा का स्तंभ

1965 से अपनी उत्कृष्ट विरासत के साथ भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) देश-विदेश के 15,000 से अधिक पत्रकारों को प्रशिक्षित कर चुका है। अब, ‘विशिष्ट श्रेणी के डिम्ड विश्वविद्यालय’ बनने के बाद IIMC डॉक्टरेट और अन्य डिग्री कार्यक्रम भी प्रदान कर रहा है—यह भारत के मीडिया शिक्षा क्षेत्र की ऐतिहासिक उपलब्धि है।


 पत्रकार कल्याण योजना – संकट की घड़ी में साथ

पत्रकारों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और पारिवारिक सहायता के लिए सरकार की यह योजना एक मजबूत सुरक्षा कवच की तरह काम करती है।

  • मृत्यु या गंभीर कठिनाई पर ₹5 लाख तक

  • गंभीर बीमारियों में ₹3 लाख तक

  • दुर्घटनाओं में ₹2 लाख तक सहायता

यह योजना मीडिया कर्मियों की सेवा और संघर्षों को सम्मान देती है।


प्रेस की भूमिका—समाज की नब्ज़ और लोकतंत्र की धड़कन

प्रेस सिर्फ खबरें नहीं देता— यह सवाल पूछता है, जवाब मांगता है, समाधान सुझाता है, और सबसे बड़ी बात, नागरिकों को सशक्त बनाता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्र प्रेस, मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला है।


स्वतंत्र आवाज़ों का जश्न, सशक्त भारत की ओर कदम

राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2025 यह संदेश देता है कि “जब पत्रकारिता स्वतंत्र होती है, तो समाज जागरूक होता है और लोकतंत्र मजबूत होता है।” डिजिटल सुधारों, मजबूत संस्थाओं और पत्रकारों की सुरक्षा के प्रयासों से भारत का मीडिया इकोसिस्टम पहले से कहीं अधिक जीवंत, आधुनिक और विश्वसनीय बन चुका है। आज का दिन उन सभी पत्रकारों को समर्पित है— जो सच की ताक़त पर विश्वास रखते हैं, जो कथित सीमाओं को चुनौती देते हैं, और जो हर नागरिक तक सही जानकारी पहुँचाने का संकल्प निभाते हैं। राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2025—स्वतंत्रता, सत्य और संवेदनशीलता को सलाम।