लातों के भूत बातों से नहीं मानते' — सीएम योगी का अल्टीमेटम, कहा: गजवा-ए-हिंद का सपना देखने वालों का अंत छांगुर जैसा होगा

लातों के भूत बातों से नहीं मानते' — सीएम योगी का अल्टीमेटम, कहा: गजवा-ए-हिंद का सपना देखने वालों का अंत छांगुर जैसा होगा

बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलरामपुर में एक विशाल जनसभा के दौरान कड़े लहजे में चेतावनी दी और कहा कि जो लोग गजवा-ए-हिंद जैसे विचारों के नाम पर अशांति फैलाना चाहेंगे, उनका परिणाम छांगुर बाबा जैसी सजा भुगतना होगा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “लातों के भूत बातों से नहीं मानते” — और जिनका इरादा विकास में बाधा बनना होगा, उनके लिए विकास पहले ही विनाश का मार्ग बन कर आएगा। मुख्यमंत्री ने सभा में यह भी कहा कि त्योहारों और उत्सवों के मौके पर उपद्रव कर देने वालों की आने वाली पीढ़ियाँ भी उस सजा को कभी भुला नहीं पाएँगी। उन्होंने कटु शब्दों में कहा कि जो लोग अराजकता को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं, उनका समय खत्म हो चुका है — अब ऐसे लोग सीधे नरक की ओर जाएंगे। योगी ने अपने संबोधन में राज्य की बढ़ती विकास कहानी का ज़िक्र करते हुए बताया कि बलरामपुर में अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया जा रहा है और राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर सरकार दृढ़ है। उन्होंने बार-बार ज़ोर दिया कि कोई भी व्यक्ति या समूह, जो सामुदायिक सद्भाव भंग करने या हिंसा फैलाने का प्रयास करेगा, उसके विरुद्ध प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा।

प्रसंग और पृष्ठभूमि

मुख्यमंत्री के ये बयान हालिया घटनाक्रम — विशेषकर बरेली में हुई झड़पों और 'I Love Muhammad' विरोध-प्रदर्शनों के बाद आए हैं — जिनके चलते राज्य सरकार ने अशांति रोकने के लिए कड़ी चेतावनियाँ देनी शुरू कर दी हैं। योगी ने कहा कि कुछ लोग धोखे या धर्म के नाम पर समाज में दरार डालने का काम कर रहे हैं और प्रशासन ऐसे तत्वों पर निगाह रखे हुए है। 

स्थानीय प्रतिक्रिया

सभा में उपस्थित लोगों ने मुख्यमंत्री की कड़े रुख की सराहना की और शासन-प्रशासन से अपेक्षा जताई कि वे कानून-व्यवस्था को बनाए रखकर विकास के मार्ग को सुरक्षित रखें। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि ऐसे तीखे बयान सामाजिक तनाव बढ़ने पर किस तरह प्रभाव डाल सकते हैं और प्रशासनिक संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है।

योगी आदित्यनाथ के कड़े बयानों ने एक बार फिर राज्य सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति और कानून-व्यवस्था के प्रति सख्त रुख को रेखांकित किया है। विकास के उद्घोष के साथ दिए गए इन इशारों ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य प्रशासन किसी भी तरह की सांप्रदायिक उथल-पुथल बर्दाश्त नहीं करेगा — परन्तु इसका सामाजिक पुल मुसलसल बनाए रखना और संवेदनशीलता के साथ कार्य करना प्रशासन के लिए चुनौती भी बन गया है।