WhatsApp जैसा नया फीचर लेकर आया ChatGPT! क्या अपनी राह से भटक रही है AI की दिग्गज कंपनी? तकनीकी जगत में उठे बड़े सवाल
तकनीक की दुनिया में हलचल तब तेज़ हो गई जब लोकप्रिय AI प्लेटफॉर्म ChatGPT ने WhatsApp जैसे फीचर की शुरुआत कर दी। यह नया अपडेट चैट-बेस्ड इंटरैक्शन को बिल्कुल मैसेजिंग ऐप जैसा अनुभव देता है—तेज़, सुचारू और बेहद व्यक्तिगत।लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल भी खड़ा हो गया है: क्या OpenAI अब अपने मूल उद्देश्य—आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सुरक्षित और उपयोगी बनाना—से भटक रही है?
नई सुविधा के तहत यूज़र्स अब बातचीत को उसी अंदाज़ में आगे बढ़ा सकते हैं, जैसे वे किसी मैसेजिंग ऐप पर किसी दोस्त से बात कर रहे हों। इंटरफ़ेस को और अधिक हल्का, संवादात्मक और उपयोगकर्ता-हितैषी बनाया गया है। इससे यूज़र्स को चैटिंग का एक सहज और आकर्षक अनुभव मिलता है, जो AI के इस्तेमाल को आम लोगों के करीब ले जाता है। तकनीकी विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फीचर AI की बढ़ती पहुँच का संकेत है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ChatGPT जैसे प्लेटफॉर्म का मैसेजिंग-ऐप टाइप फीचर लाना, AI की दिशा को सोशल मीडिया और कम्युनिकेशन सर्विसेज़ की ओर मोड़ सकता है। इससे यह चिंता भी सामने आई है कि कहीं OpenAI अत्यधिक लोकप्रियता की चाह में अपने शोध-उन्मुख उद्देश्य से दूर न हो जाए। दूसरी ओर, समर्थकों का कहना है कि AI को जनसुलभ बनाने के लिए आधुनिक और उपयोगकर्ता-केंद्रित फीचर लाना समय की मांग है। उनके अनुसार—
“अगर AI लोगों की रोजमर्रा की बातचीत का हिस्सा नहीं बनेगा, तो वह भविष्य की तकनीक कैसे बनेगा?”
नया बदलाव चाहे दिशा में मोड़ हो या तकनीकी विकास की नई मंज़िल—एक बात तय है कि ChatGPT के इस कदम ने डिजिटल दुनिया में बहस की नई लहर जरूर पैदा कर दी है। यूज़र्स भी अब यह जानने को उत्सुक हैं कि आने वाले अपडेट्स ChatGPT को मैसेजिंग ऐप की तरह बदलेंगे या AI के नए आयामों की ओर ले जाएंगे।






