गोरखपुर में दफनाया गया पशु तस्कर का शव: पिता बोले – “बेटा तस्कर था, गांव ले जाते तो समाज बहिष्कार कर देता”

गोरखपुर में दफनाया गया पशु तस्कर का शव: पिता बोले – “बेटा तस्कर था, गांव ले जाते तो समाज बहिष्कार कर देता”
  • आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार

गोरखपुर।
गोरखपुर के पिपराइच इलाके में छात्र हत्या कांड के बाद भीड़ की पिटाई से घायल हुए कथित पशु तस्कर अजमल उर्फ अजहर हुसैन उर्फ सद्दाम हुसैन की मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई। शुक्रवार सुबह इलाज के दौरान दम तोड़ने के बाद जब पुलिस ने परिवार को बुलाया तो बड़ा फैसला सामने आया। पिता और रिश्तेदार शव को बिहार लेकर जाने के बजाय गोरखपुर में ही दफना आए।


परिवार ने क्यों नहीं ले गए शव?

मृतक के पिता ईशा मोहम्मद बोले –

“अजमल की हरकतों से पूरा परिवार तंग था। वह जब भी घर आता, नशे में धुत रहता, पत्नी और पिता को भी मारता-पीटता था। शराब पीकर रुपये उड़ाता, आर्केस्ट्रा देखता। घर पर महीने–पंद्रह दिन में एक बार आता था। अब अगर हम उसका शव गांव ले जाते तो समाज में बदनामी होती और पूरा परिवार बहिष्कृत कर दिया जाता।”

गांव से आए चार लोगों ने भी नाम बताने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि – “अगर पता चला कि हम तस्कर का शव लेने गए थे तो समाज बहिष्कार कर देगा।”


 घटना की पृष्ठभूमि

  • सोमवार की रात पिपराइच क्षेत्र के महुआचाफी में पशु तस्करों ने एक छात्र की हत्या कर दी थी।

  • घटना के बाद भाग रहे तस्करों में से एक को भीड़ ने पकड़ लिया और पिटाई कर दी।

  • गंभीर रूप से घायल अजमल को पुलिस ने मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था।

  • शुक्रवार सुबह उसकी मौत हो गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर की हड्डी, कंधे की हड्डी टूटी हुई पाई गई और पीठ पर भी गंभीर चोटों के निशान थे।


 गोरखपुर में हुआ अंतिम संस्कार

पुलिस पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपने मेडिकल कॉलेज पहुंची। शाम को पिता और चार लोग बोलेरो गाड़ी से आए। किसी रिश्तेदार या गांव के लोग शव लेने तैयार नहीं हुए। आखिरकार पिता की मौजूदगी में शव को गोरखपुर के नॉर्मल स्टैंड के पास स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया गया।


गोरखपुर का यह मामला न सिर्फ एक अपराध और भीड़ न्याय (Mob Justice) की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में अपराधी की छवि इतनी बदनाम हो सकती है कि मरने के बाद भी परिजन शव गांव ले जाने से कतराते हैं। पिता की जुबान से निकले शब्द— “बेटा तस्कर था, गांव ले जाते तो समाज बहिष्कार कर देता”— समाज के उस कठोर सच को उजागर करते हैं, जो अपराध की विरासत छोड़ने वाले को अंतिम सम्मान भी नहीं देता।