प्रौद्योगिकी ही भविष्य की भू-राजनीति की धुरी: सीएसआईआर स्थापना दिवस पर डॉ. जितेंद्र सिंह

प्रौद्योगिकी ही भविष्य की भू-राजनीति की धुरी: सीएसआईआर स्थापना दिवस पर डॉ. जितेंद्र सिंह

नई दिल्ली, 26 सितंबर 2025।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 84वें स्थापना दिवस पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट कहा कि “आने वाले समय में प्रौद्योगिकी संप्रभुता ही भू-राजनीतिक संप्रभुता का निर्धारण करेगी।”

उन्होंने सीएसआईआर को स्वतंत्रता-पूर्व स्थापित उन विरल संस्थानों में गिना, जिन्होंने भारत की वैज्ञानिक यात्रा को निरंतर दिशा दी है। डॉ. सिंह ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सर रामनाथ चोपड़ा जैसी विभूतियों के योगदान को याद करते हुए कहा कि भारत के वैज्ञानिक प्रयास आज़ादी से पहले भी उतने ही महत्वपूर्ण थे जितने आज हैं।

प्रयोगशालाओं से समाज तक

  • देशभर में फैली 37 प्रयोगशालाएं स्वास्थ्य, कृषि, रक्षा और सामग्री विज्ञान जैसे क्षेत्रों में काम कर रही हैं।

  • "एक सप्ताह एक प्रयोगशाला" और "एक सप्ताह एक थीम" जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए सीएसआईआर ने जनता के बीच अपनी उपलब्धियों को पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

  • हाल ही में स्वदेशी रूप से विकसित नैफिथ्रोमाइसिन एंटीबायोटिक को बड़ी उपलब्धि बताया गया।

विज्ञान का सामाजिक प्रभाव

डॉ. सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती और पालमपुर में ट्यूलिप नवाचार ने किसानों की आजीविका बदली है। वहीं, सीएसआईआर की तकनीकें राष्ट्रीय सुरक्षा में भी उपयोगी साबित हुईं, जैसे ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल किए गए सेंसर।

 उद्योग और विज्ञान का तालमेल

उन्होंने उद्योग जगत से आह्वान किया कि भारतीय प्रयोगशालाओं से निकल रहे नवाचारों को अपनाने की ज़िम्मेदारी वे स्वयं लें। “टीकों से लेकर फूलों की खेती तक की सफलता उद्योग साझेदारी से ही संभव हुई है,” उन्होंने कहा।

 भविष्य की राह

डॉ. सिंह ने त्रि-आयामी दृष्टिकोण—

  1. जागरूकता

  2. सामर्थ्य

  3. सुलभता
    को विज्ञान के सामाजिक प्रसार के लिए आवश्यक बताया। साथ ही वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे आम नागरिकों से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया और आधुनिक संचार साधनों का उपयोग करें।

अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद, और अमेरिका से डॉ. सेतुरामन पंचनाथन जैसी वैश्विक हस्तियों ने भी भाग लिया।

जैसे-जैसे सीएसआईआर अपनी शताब्दी (2042) की ओर बढ़ रहा है, डॉ. सिंह ने इसे भारत के तकनीकी उत्थान का “पथप्रदर्शक संस्थान” बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमारे संस्थापकों के लिए सच्चा सम्मान यही होगा कि हम विज्ञान को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाएं और 2047 के भारत को आत्मविश्वासी और सक्षम राष्ट्र बनाएं।”