मंडलीय अस्पताल से मरीजों की दवा बाजार में! गोरखपुर में NCB की बड़ी कार्रवाई — फार्मासिस्ट व दलाल पर मुकदमा दर्ज

मंडलीय अस्पताल से मरीजों की दवा बाजार में! गोरखपुर में NCB की बड़ी कार्रवाई — फार्मासिस्ट व दलाल पर मुकदमा दर्ज

विशेष रिपोर्ट | गोरखपुर
सरकारी अस्पताल से मरीजों के लिए मुफ्त में आने वाली दवाएं बाजार में बिक रही थीं, और मरीजों का हक लूटकर फार्मासिस्ट और झोलाछाप डॉक्टर बना रहे थे अवैध कमाई का साम्राज्य। लेकिन अब पर्दाफाश हो चुका है — नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) गोरखपुर की टीम ने बुधवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए इस दवा माफिया के जाल को तोड़ने का काम किया।

NCB का दोपहर में छापा — एक गिरफ्तार, दो नामजद पर FIR
बुधवार दोपहर गोरखपुर के मंडलीय जिला चिकित्सालय के बाहर जब NCB ने छापा मारा, तो मौके पर प्रमोद कुमार सिंह नामक व्यक्ति को सरकारी दवाओं के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया गया। पूछताछ में प्रमोद ने खुलासा किया कि वह ये दवाएं जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट रामानंद यादव से लेता था और फिर उन्हें मेडिकल हॉल और झोलाछाप डॉक्टरों तक पहुंचाता था।

फार्मासिस्ट और सप्लायर के खिलाफ मुकदमा दर्ज
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद, NCB ने तत्काल ड्रग इंस्पेक्टर सीमा वर्मा को जानकारी दी। ड्रग विभाग की मौजूदगी में शहर कोतवाली में मंडलीय जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट रामानंद यादव और प्रमोद कुमार सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।

हजारों की सरकारी दवाएं जब्त — लाखों के घोटाले की जांच जारी
ड्रग इंस्पेक्टर सीमा वर्मा ने बताया कि आरोपी के पास से लगभग ₹50,000 की सरकारी दवाएं बरामद की गई हैं। अनुमान है कि यह फर्जीवाड़ा लंबे समय से चल रहा था और लाखों की दवाएं बाजार में खपाई जा चुकी हैं। अब जांच एजेंसियां यह भी खंगाल रही हैं कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है और किन इलाकों में इन दवाओं की अवैध सप्लाई होती थी।

जनता का सवाल — कब तक यूं ही बिकती रहेंगी मरीजों की उम्मीदें?
यह पूरा मामला सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव को हिला देने वाला है। जहां एक ओर गरीब मरीज अस्पतालों में मुफ्त इलाज के इंतजार में भटकते हैं, वहीं दूसरी ओर वही दवाएं बाजार में बिककर किसी की जेबें भर रही थीं।

समाज की सजगता और सिस्टम की सख्ती ही लाएगी बदलाव
अब जरूरत है समाज को जागरूक होने की, और सिस्टम को और भी पारदर्शी और जवाबदेह बनाए जाने की। NCB और ड्रग विभाग की यह कार्रवाई निश्चित ही एक मिसाल है — लेकिन अभी बहुत कुछ उजागर होना बाकी है।