हरिहरपुर में तीन दिवसीय कजरी महोत्सव का आयोजन: शास्त्रीय संगीत और लोक कला की सुरीली प्रस्तुति
संवाददाता- मनोज कुमार सिंह, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
आजमगढ़— उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध हरिहरपुर गांव में एक बार फिर संगीत की गूंज सुनाई देगी। संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के सौजन्य से भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा तीन दिवसीय *हरिहरपुर कजरी महोत्सव 2024* का आयोजन 26, 27 और 28 अगस्त को प्राइमरी स्कूल प्रांगण, हरिहरपुर में होने जा रहा है। इस महोत्सव का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की समृद्ध लोककला और सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार-प्रसार, संरक्षण और संवर्धन करना है। कार्यक्रम की शुरुआत 26 अगस्त, 2024 को शाम 3:00 बजे होगी। यह महोत्सव कला, संगीत और संस्कृति के रंगों से सराबोर रहेगा। मुख्य अतिथि कलाकारों की सूची में शामिल हैं वाराणसी की प्रोफेसर नम्रता मिश्रा, जो 26 अगस्त को उद्घाटन सत्र में अपनी सुरीली प्रस्तुति देंगी। इसके बाद 27 अगस्त को भजन सम्राट पद्मश्री श्री अनूप जलोटा, जो मुंबई से पधार रहे हैं, अपने सुरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। समापन समारोह में 28 अगस्त को लखनऊ की पद्मश्री मालिनी अवस्थी अपनी उपशास्त्रीय गायन की अनूठी शैली से इस महोत्सव को संगीत की चरम सीमा पर पहुंचाएंगी। हरिहरपुर गांव, जिसे शास्त्रीय संगीत के गढ़ के रूप में जाना जाता है, इस महोत्सव में अपनी धरोहर को और समृद्ध करेगा। हरिहरपुर घराने के कलाकार और स्थानीय बाल कलाकार भी इस महोत्सव में अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से समां बांधेंगे। कार्यक्रम के दौरान बाल कलाकारों को प्रतीक चिन्ह देकर प्रोत्साहित भी किया जाएगा, जिससे उन्हें अपनी कला और प्रतिभा को और अधिक निखारने का अवसर मिलेगा।
इस महोत्सव में लगभग 150 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे, जो लोक कला, संगीत और नृत्य की विविध विधाओं को दर्शकों के सामने पेश करेंगे। तीन दिनों तक चलने वाले इस सांस्कृतिक उत्सव में शास्त्रीय संगीत और लोक कला का अनूठा संगम देखने को मिलेगा, जो भारतीय संस्कृति के विविध रूपों को प्रस्तुत करेगा। कजरी का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है, विशेषकर वर्षा ऋतु में, जब व्रत, त्योहार और सांस्कृतिक आयोजन संपन्न होते हैं। यह महोत्सव न केवल कजरी के रसिक प्रेमियों के लिए एक अनूठा अवसर है, बल्कि उन सभी के लिए भी जो लोक कला और संस्कृति के रंगों में रंगना चाहते हैं। हरिहरपुर कजरी महोत्सव की यह परंपरा उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और आगे बढ़ाने के प्रयासों का हिस्सा है। हर साल की तरह इस साल भी यह महोत्सव एक ऐसा मंच बनेगा, जहां न केवल प्रतिष्ठित कलाकार बल्कि उभरती हुई प्रतिभाएं भी अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेंगी। इस महोत्सव का हिस्सा बनकर संगीत और कला प्रेमी भारतीय संस्कृति की इस अनुपम धरोहर का आनंद उठा सकेंगे और इसे हमेशा के लिए अपनी यादों में संजो सकेंगे।