बुढ़िया माता मंदिर कपाट बंद विवाद: ट्रेनी डीएफओ की कार्रवाई के खिलाफ भड़का आक्रोश

गोरखपुर | खोराबार:
खोराबार के कुसम्ही जंगल स्थित प्राचीन बुढ़िया माता मंदिर का कपाट शुक्रवार को उस समय बंद कर दिया गया जब ट्रेनी डीएफओ की कार्रवाई के खिलाफ वहाँ के पुजारी और स्थानीय दुकानदारों का आक्रोश फूट पड़ा।घटना का कारण यह बताया गया कि मंदिर के पुजारी के बेटे बलिराम की बाइक को ट्रेनी डीएफओ सीकर वेंकट पटेल ने वन संरक्षित क्षेत्र में घुसने का हवाला देते हुए जब्त कर लिया। जिसके विरोध में पुजारी रामानंद ने मंदिर की साफ-सफाई के बाद मंदिर का कपाट बंद कर दिया और सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर विरोध प्रदर्शन किया।लोगों का आरोप था कि मनमाने तरीके से बुढ़िया माता मंदिर आने-जाने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों की गाड़ियों का चालान कर उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। इस घटना के विरोध में लोगों ने डीएफओ की गाड़ी पर चप्पलें फेंकी और मुर्दाबाद के नारे लगाए।
वन विभाग के अधिकारियों ने दी सफाई, कपाट खोलने का हुआ समाधान
घटना की सूचना पर वन विभाग के एसडीओ डॉ. हरेंद्र सिंह और अन्य अधिकारी एम्स पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को यह आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी कार्रवाई दोबारा नहीं होगी। साथ ही जब्त की गई बाइक वापस दिलाने का वादा किया।एसडीओ के आश्वासन और स्वयं मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद मंदिर का कपाट फिर से खोल दिया गया और स्थिति सामान्य हुई।डीएफओ विकास यादव ने स्पष्ट किया कि पुजारी का बेटा वन विभाग की प्रतिबंधित पगडंडी से जा रहा था, जो कि पौधरोपण क्षेत्र है और वहाँ प्रवेश वर्जित है। हालांकि, मामले को शांत करा दिया गया है और बुढ़िया माता मंदिर जाने वाले मुख्य मार्ग पर कोई रोक नहीं है।
समाज की प्रतिक्रिया:
यह घटना स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग को इस प्रकार की कठोर कार्रवाई से पहले उचित जानकारी और नियमों की स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए। वहीं, वन विभाग का कहना है कि नियमों का पालन करना सभी के लिए आवश्यक है।