हाथरस घटना पर श्रद्धांजलि सभा: हृदय विदारक त्रासदी में दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि
बड़हलगंज, गोरखपुर, हाथरस में हुए सत्संग कार्यक्रम के दौरान एक हृदय विदारक घटना में सौ से अधिक निर्दोष लोगों की मौत ने पूरे राज्य को शोक में डाल दिया है। इस दुखद घटना पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन नगर पंचायत कार्यालय में किया गया, जहां नगर के प्रतिष्ठित लोग एकत्रित हुए और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की।
बुधवार को स्वर्गीय विश्वनाथ प्रसाद उमर हॉल में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत दो मिनट के मौन से की गई, जिससे दिवंगत आत्माओं को सम्मान और शांति मिल सके। चेयरमैन प्रतिनिधि महेश उमर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हाथरस की घटना अत्यंत दुखद और अमानवीय है। इसने हमारे दिलों को गहरा आघात पहुंचाया है। हम पीड़ित परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं और इस कठिन समय में उनके साथ खड़े हैं।"
सभा में उपस्थित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों में सभासद वीरेंद्र गुप्ता, राकेश राय, राजीव मिश्रा, दीपक गौंड, ऋषि कुमार, जितेंद्र पासवान, अमूल्य चतुर्वेदी, संजय सोनकर, रवि साहनी, श्रीप्रकाश सोनी, आरके तिवारी, और पंकज पांडेय प्रमुख थे। सभी ने अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि इस तरह की घटनाएं हमारे समाज को झकझोर कर रख देती हैं और हमें सतर्क और सावधान रहने की प्रेरणा देती हैं।
सभा में भावुकता का माहौल था। उपस्थित जनसमूह ने नम आँखों से अपने-अपने तरीके से दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। नगर पंचायत के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी इस अवसर पर अपने शोक संवेदनाओं को व्यक्त किया
सभा का समापन सभी उपस्थित लोगों के हाथ जोड़कर और सर झुकाकर प्रार्थना करने के साथ हुआ। नगर के नागरिकों ने इस कार्यक्रम को एकजुटता और सामूहिक संवेदना का प्रतीक माना और अपने दुःख में साथ रहने का वचन लिया।
हाथरस घटना ने यह साबित कर दिया कि हमारे समाज में अभी भी मानवता को जीवित रखना कितना आवश्यक है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम सभी को मिलकर ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाने चाहिए। इस घटना ने पूरे नगर को एक कर दिया है और हम सभी प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्माओं को शांति मिले और पीड़ित परिवारों को यह अपार दुख सहने की शक्ति।
इस श्रद्धांजलि सभा ने हमारे समाज के सामूहिक संवेदनाओं और एकजुटता को प्रदर्शित किया और हमें यह याद दिलाया कि हम सभी एक-दूसरे के दुःख में साझेदार हैं।