"एक भारत, एक पंजीकरण" पहल के तहत होमस्टे को नई पहचान — उत्तर प्रदेश सबसे आगे, 955 ग्रामीण होमस्टे हुए पंजीकृत

"एक भारत, एक पंजीकरण" पहल के तहत होमस्टे को नई पहचान — उत्तर प्रदेश सबसे आगे, 955 ग्रामीण होमस्टे हुए पंजीकृत

नई दिल्ली।
देश में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों की आर्थिक तस्वीर बदलने के लिए केंद्र सरकार की "एक भारत, एक पंजीकरण" पहल तेजी से असर दिखा रही है। पर्यटन मंत्रालय के राष्ट्रीय एकीकृत आतिथ्य उद्योग डेटाबेस (निधि) पोर्टल के माध्यम से अब देशभर के ग्रामीण होमस्टे एक ही प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हो रहे हैं।

मंत्रालय की स्वैच्छिक "अतुल्य भारत होमस्टे प्रतिष्ठान" योजना के तहत देशभर में पूरी तरह से संचालित होमस्टे सुविधाओं का वर्गीकरण दो श्रेणियों — स्वर्ण श्रेणी और रजत श्रेणी — में किया जाता है। यह योजना ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में पर्यटकों को सुरक्षित, आरामदायक और सांस्कृतिक अनुभव देने पर केंद्रित है। हालांकि, इस योजना के अंतर्गत पर्यटन मंत्रालय से कोई प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता नहीं दी जाती।

सरकार ने हाल ही में आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान को मंजूरी दी है, जिसमें 1,000 होमस्टे विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को 5-6 गाँवों के समूह में प्रति गाँव 5-10 होमस्टे बनाने पर अधिकतम 5 करोड़ रुपये की सहायता मिलेगी, बशर्ते वे 01 जुलाई 2025 को जारी पात्रता दिशानिर्देशों के अनुरूप हों।

इसके अलावा, 2025-26 के बजट में ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना के तहत संपार्श्विक-मुक्त संस्थागत ऋण की भी घोषणा की गई है।

निधि पोर्टल पर ग्रामीण होमस्टे पंजीकरण का हाल
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश 955 पंजीकृत ग्रामीण होमस्टे के साथ देश में शीर्ष पर है, इसके बाद पश्चिम बंगाल 570 और तमिलनाडु 137 होमस्टे के साथ अग्रणी राज्यों में शामिल है। वहीं, अंडमान-निकोबार, बिहार, हरियाणा, नगालैंड, त्रिपुरा, दादरा-नगर हवेली एवं दमन-दीव जैसे कुछ राज्यों में पंजीकरण संख्या एक अंक में सिमटी हुई है।

यह पोर्टल केवल पंजीकृत और वर्गीकृत/अनुमोदित होमस्टे इकाइयों का डेटा उपलब्ध कराता है, लेकिन यह किसी प्रकार का बुकिंग प्लेटफॉर्म नहीं है और न ही इसमें पर्यटकों की संख्या या ठहरने के दिनों का आंकड़ा उपलब्ध होता है।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में बताया कि इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यटन अनुभव की गुणवत्ता बढ़ाना है, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की आमदनी के नए स्रोत खोलना भी है।