ग्राम पंचायतों में डिजिटल क्रांति: एआई से लेकर ड्रोन सर्वे तक, गांवों की तस्वीर बदल रही है भारत

ग्राम पंचायतों में डिजिटल क्रांति: एआई से लेकर ड्रोन सर्वे तक, गांवों की तस्वीर बदल रही है भारत

नई दिल्ली।
भारत के गांव अब सिर्फ मिट्टी की पगडंडियों और चौपालों तक सीमित नहीं रहे। पंचायती राज मंत्रालय की नई डिजिटल पहलों ने ग्रामीण शासन की तस्वीर बदल दी है। कभी बैठकों की कार्यवाही कागजों में अटक जाती थी, तो कभी भूमि विवाद पीढ़ियों तक खिंचते रहते थे। लेकिन अब एआई टूल ‘सभासार’ से ग्राम सभा की कार्यवाही मिनटों में तैयार होती है, ‘स्वामित्व योजना’ से हर ग्रामीण को उसकी जमीन का हक़ मिल रहा है, ‘ई-ग्राम स्वराज’ से योजनाएं और बजट ऑनलाइन दिख रहे हैं और ‘मेरी पंचायत ऐप’ नागरिकों को सीधे अपने फोन पर पारदर्शिता का अहसास करा रहा है।

यह बदलाव केवल तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक है—जहां गांव के हर नागरिक को डिजिटल भागीदारी का अवसर मिल रहा है।


डिजिटल बदलाव की कहानी

अगस्त 2025 में मंत्रालय ने सभासार नामक एआई टूल लॉन्च किया। यह ग्राम सभा की बैठकों का ऑडियो-वीडियो सुनकर तुरंत मिनट्स तैयार करता है और भाषिनी से जुड़कर 14 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध भी कराता है। इससे न सिर्फ समय बचता है, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ती है।

इसी तरह, स्वामित्व योजना ने गांवों का चेहरा बदल दिया। अब तक 3.23 लाख गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है और 2.63 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। जिन जमीनों पर कभी विवाद हुआ करता था, अब उनके साफ नक्शे और डिजिटल दस्तावेज मौजूद हैं। लोग बैंक से कर्ज ले पा रहे हैं और संपत्ति पर अपना कानूनी हक़ साबित कर पा रहे हैं।

कनेक्टिविटी के मोर्चे पर भारतनेट ने कमाल किया है। अब 6.26 लाख से ज्यादा गांवों तक 3G/4G इंटरनेट पहुँच चुका है और 13 लाख से अधिक FTTH कनेक्शन चालू हो चुके हैं। किसान मोबाइल पर कृषि तकनीक सीख रहे हैं, बच्चे ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं और पंचायतों के फैसले लाइव देखे जा रहे हैं।


ई-ग्राम स्वराज और मेरी पंचायत ऐप: शासन हाथों में

24 अप्रैल 2020 को लॉन्च हुआ ई-ग्राम स्वराज आज पंचायतों का डिजिटल लेखा-जोखा बन चुका है। 2.54 लाख ग्राम पंचायतों ने अपने विकास योजना दस्तावेज अपलोड कर दिए हैं और 2.41 लाख पंचायतों ने अनुदानों का ऑनलाइन लेन-देन पूरा किया है।

इसी कड़ी में मेरी पंचायत ऐप ने लोकतंत्र को हर नागरिक की हथेली तक पहुँचा दिया है। पंचायत का बजट, विकास योजनाएं, चुने गए प्रतिनिधियों का ब्यौरा, यहां तक कि मौसम का पूर्वानुमान—सबकुछ अब मोबाइल स्क्रीन पर उपलब्ध है। 95 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण इसकी पहुंच में आ चुके हैं।


मान्यता और गौरव

डिजिटल पंचायतों को अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी मिल रही है। एनएईजी 2025 अवार्ड्स में महाराष्ट्र की रोहिणी ग्राम पंचायत को स्वर्ण, त्रिपुरा की पश्चिम मजलिसपुर को रजत और गुजरात-ओडिशा की पंचायतों को जूरी अवॉर्ड दिए गए। विजेता पंचायतों को वित्तीय प्रोत्साहन भी मिला, ताकि नवाचार और आगे बढ़ सके।


डिजिटल इंडिया का असली चेहरा गांवों में

भारत की 70% आबादी गांवों में रहती है और वहां की पंचायतें ही लोकतंत्र की जड़ हैं। डिजिटल क्रांति ने इन जड़ों को और मजबूत किया है। अब बैठकों के निर्णय पारदर्शी हैं, जमीन के नक्शे साफ हैं, बजट ऑनलाइन है और नागरिकों की भागीदारी वास्तविक है।

यह सिर्फ डिजिटल इंडिया का सपना नहीं, बल्कि गांवों से निकली वह शक्ति है जो भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बना रही है। आने वाले वर्षों में जब इतिहास लिखा जाएगा, तो 2025 को वह साल कहा जाएगा, जब भारतीय गांवों ने डिजिटल युग की ओर निर्णायक कदम बढ़ाया।