50 रुपये का झगड़ा बना मौत का कारण: जन्मदिन की पार्टी में दोस्त ने ली दोस्त की जान, सूरत का पांडेसरा दहला

50 रुपये का झगड़ा बना मौत का कारण: जन्मदिन की पार्टी में दोस्त ने ली दोस्त की जान, सूरत का पांडेसरा दहला

  • आर.वी.न्यूज़ संवाददाता, मनोज कुमार

सूरत।
कहते हैं दोस्ती भरोसे और अपनापन से चलती है, लेकिन गुजरात के सूरत में महज़ 50 रुपये के विवाद ने दोस्ती को खून से रंग दिया। पांडेसरा इलाके में जन्मदिन की पार्टी का जश्न मातम में बदल गया, जब मामूली कहासुनी ने खून-खराबे का रूप ले लिया। इस वारदात में एक युवक की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल है।


जन्मदिन की पार्टी से पहले मचा बवाल

घटना 16 सितंबर की रात की है। पांडेसरा थाना क्षेत्र के लक्ष्मी नगर निवासी 28 वर्षीय भगत सिंह नरेंद्र सिंह, अपने दोस्त बिट्टू काशीनाथ सिंह के जन्मदिन समारोह में शामिल हुआ था। दोस्तों ने अलथान के एक होटल में पार्टी करने की योजना बनाई थी। पार्टी से पहले सभी तिरुपति प्लाज़ा के पास खड़े होकर बातें कर रहे थे।

इसी दौरान दोस्त अनिल राजभर ने बिट्टू से 50 रुपये मांगे, जो उसने पहले पार्टी खर्च में दिए थे। बस, यही छोटी-सी मांग विवाद की वजह बन गई।


मामूली कहासुनी से लेकर खून-खराबा

पुलिस जांच में सामने आया कि 50 रुपये को लेकर हुई बहस बढ़ते-बढ़ते गाली-गलौज और फिर मारपीट तक जा पहुँची। गुस्से में आकर बिट्टू सिंह और उसके साथी चंदन करुणाशंकर दुबे ने चाकू निकाल लिया।

  • भगत सिंह पर कई वार किए गए, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

  • अनिल राजभर भी चाकूबाजी में गंभीर रूप से घायल हो गया।


आरोपी गिरफ्तार, चंदन दुबे आदतन अपराधी

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि आरोपी चंदन दुबे पहले से ही अपराधी प्रवृत्ति का है।
डीसीपी निधि ठाकुर ने बताया कि महज़ होटल पार्टी के खर्च और 50 रुपये के लेन-देन पर इतना बड़ा बवाल खड़ा हुआ कि एक निर्दोष युवक की जान चली गई।


परिवार में मातम, समाज में सवाल

भगत सिंह की मौत के बाद उसके घर में मातम का माहौल है। मां, भाई-बहन और रिश्तेदार इस हादसे से सदमे में हैं। एक मामूली विवाद ने पूरे परिवार की खुशियां छीन लीं।
स्थानीय लोग भी स्तब्ध हैं। उनका कहना है कि यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर युवा पीढ़ी गुस्से और हिंसा की राह पर क्यों बढ़ रही है।


यह वारदात हमें यह याद दिलाती है कि गुस्से में लिया गया एक गलत कदम न केवल ज़िंदगी छीन सकता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज को भी अंधकार में धकेल सकता है।