महादंगल में ‘सुशील’ और ‘अज़हर’ का रोमांचक वार-पलटवार: ज़बरदस्त भिड़ंत के बाद मुकाबला बराबरी पर छूटा

- गोरखपुर के गगहा में 57 वर्षों की गौरवशाली परंपरा, 128 पहलवानों ने दिखाया दम; विधायक ने किया प्रोत्साहन
रिपोर्ट: नरसिंह यादव, क्राईम रिपोर्टर, गोरखपुर
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पावन भूमि, गोरखपुर के गगहा विकास खण्ड में, जहाँ की मिट्टी में शौर्य और संघर्ष समाहित है, वहाँ इस वर्ष भी मां दुर्गा मंदिर के समीप नवमी के शुभ अवसर पर विशाल दंगल का आयोजन हुआ। यह आयोजन केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि 57 वर्षों से चली आ रही गौरवशाली ग्रामीण परंपरा का जीवंत प्रमाण है। इस महादंगल में दूर-दराज से आए 128 जोड़ों के पहलवानों ने अपनी शक्ति, कौशल और दाँवपेंच का अद्भुत प्रदर्शन किया, जिसने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। दंगल का मुख्य आकर्षण रहा सुशील और अज़हर के बीच हुई वह ऐतिहासिक कुश्ती, जिसने सात मिनट तक दर्शकों की साँसें थामे रखीं।
सबसे रोमांचक मुकाबला: सुशील बनाम अज़हर
दंगल के सबसे बहुप्रतीक्षित और रोमांच से भरे मुकाबले में, दर्शकों की निगाहें अज़हर और सुशील पर टिकी थीं। यह भिड़ंत शक्ति और रणनीति का ऐसा संगम थी कि अखाड़े का हर कोना जयकारों से गूंज उठा। सात मिनट की जबरदस्त कुश्ती में, दोनों पहलवानों ने एक-दूसरे को धूल चटाने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ दाँव लगाए। वार-पलटवार का यह सिलसिला अंत तक चला, लेकिन दोनों ही बाहुबल और तकनीक में इतने अप्रतिम सिद्ध हुए कि निर्णायक समय समाप्त होने पर, यह जबरदस्त मुकाबला बराबरी पर छूटा। दर्शकों ने दोनों पहलवानों के अथक प्रयास की तारीफों के पुल बाँध दिए।
अन्य परिणाम और बराबरी की कुश्तियां
इस दंगल की एक और खास बात यह रही कि कुल 128 जोड़ों की कुश्ती में से अधिकांश मुकाबले बराबरी पर छूटे, जो उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल में पहलवानों के उच्च स्तर को दर्शाता है। हालांकि, कुछ पहलवानों ने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करते हुए जीत हासिल की:
-
सिकन्दर (गंइयापार) ने बंटू (मोहद्दीपुर) को पटखनी देकर अपनी धाक जमाई।
-
अनुज ने राहुल को परास्त कर अपनी जीत का झंडा गाड़ा।
-
सत्यम ने सिकन्दर को चित कर अपनी दक्षता प्रदर्शित की।
-
इसके अलावा, सुंदरम (रामबाग) और प्रदीप यादव (गाजीपुर) के बीच भी सात मिनट का मुकाबला काफी रोमांचक रहा, जो बराबरी पर समाप्त हुआ।
अतिथि सत्कार और प्रोत्साहन
दंगल प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुए, मुख्य अतिथि विधायक डॉ. विमलेश पासवान और विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत सदस्य मायाशंकर शुक्ल ने पहलवानों का हौसला बढ़ाया। विधायक ने जोर देकर कहा, "कुश्ती हमारे देश की प्राचीन खेल विरासत है। इस खेल को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के लिए हम सदैव प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं का सागर छिपा है, बस उन्हें सही अवसर और मंच देने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने गाँव और क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर सकें।
आयोजकों की सराहना
विधायक ने इस महान परंपरा को जीवंत रखने के लिए आयोजक जयवीर सिंह और रणवीर सिंह की तहे-दिल से सराहना की। रणवीर सिंह ने भावुक होकर बताया कि इस दंगल की शुरुआत 1969 में उनके पूर्वज द्वारा की गई थी और इसे निरंतर संचालित करने में पूरा परिवार और स्थानीय लोग अपना अमूल्य सहयोग देते रहे हैं।
न्याय और उद्घोषणा
कुश्ती के निर्णायक की भूमिका में ओम प्रकाश राय, ओमप्रकाश यादव और गिरधारी ने अपनी अखंड निष्ठा का परिचय दिया, जबकि उमेश राय और सरितेश मिश्र ने अपनी ओजस्वी उद्घोषणा से पूरे वातावरण में जोश भर दिया।
गगहा का यह महादंगल न केवल एक खेल आयोजन था, बल्कि यह ग्रामीण संस्कृति, एकता और शौर्य का एक शानदार पर्व था। अज़हर और सुशील जैसे पहलवानों की जबरदस्त भिड़ंत ने यह सिद्ध कर दिया कि कुश्ती की प्राचीन कला आज भी जीवंत है और युवाओं के हृदय में शक्ति और सम्मान का भाव भरती है। इस सफल आयोजन में थाना प्रभारी सुशील कुमार सहित अभिमन्यु सिंह, डॉ. परमहंस सिंह, जितेन्द्र सिंह, अमित सिंह, राजन सिंह, शत्रुजीत सिंह, विनोद श्रीवास्तव जैसे अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इसकी गरिमा को और बढ़ा दिया। यह दंगल भारतीय माटी की परंपरा को मजबूती से आगे बढ़ाने का संदेश देकर समाप्त हुआ।