शाही ग्लोबल हॉस्पिटल में विश्व स्तनपान दिवस पर संगोष्ठी: “माँ का दूध – स्वस्थ जीवन की पहली सीढ़ी”

- ब्यूरो प्रमुख- एन. अंसारी, मंडल गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
विश्व स्तनपान सप्ताह (1 से 7 अगस्त) के अवसर पर शाही ग्लोबल हॉस्पिटल, गोरखपुर में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें समाज में शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए माँ के दूध के महत्व पर विस्तार से चर्चा हुई। इस अवसर पर गोरखपुर पीडियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा शहर के अस्पतालों, भीड़भाड़ वाले स्थानों और पार्कों में पूरे सप्ताह स्तनपान के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
कार्यक्रम में डॉ. डी.के. सिंह, डॉ. एम.के. गुप्ता, डॉ. प्रमोद नायक, शाही ग्लोबल के चेयरमैन डॉ. शिवशंकर शाही, निर्देशिका डॉ. सीमा शाही, मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. प्रतीक शाही, डॉ. भूपेंद्र प्रताप सिंह और डॉ. शिल्पा सिंह ने मरीजों, उनके परिजनों और माताओं से संवाद किया।
डॉक्टरों के प्रमुख संदेश
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डॉ. प्रमोद नायक – स्तनपान से बच्चे का मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास होता है। यह माँ और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है।
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डॉ. एम.के. गुप्ता – यह 100% शुद्ध, सस्ता और सरल उपाय है। जन्म के तुरंत बाद गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) ज़रूर पिलाना चाहिए।
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डॉ. डी.के. सिंह – स्तनपान का प्रतिशत अभी कम है, इसे 100% तक पहुँचाना ज़रूरी है। स्वस्थ बच्चा ही स्वस्थ भारत का निर्माण करेगा।
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डॉ. शिवशंकर शाही – यह इतना आवश्यक है कि NICU में भर्ती गंभीर शिशुओं को भी ब्रेस्ट मिल दिया जाता है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में “दुग्ध बैंक” की स्थापना इसी उद्देश्य से हुई है।
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डॉ. शिल्पा सिंह – शुरू के एक-दो दिन दूध न बने तो घबराएँ नहीं। बच्चे के रोने और दूध पीने से ही माँ के मस्तिष्क से दूध बनाने वाले हार्मोन सक्रिय होते हैं।
शिशु के लिए स्तनपान के फायदे
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सर्वोत्तम और प्राकृतिक आहार
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पोषक तत्वों से भरपूर
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बच्चे की आवश्यकता के अनुसार अनुकूलित
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रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
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पाचन में आसान
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मस्तिष्क विकास में सहायक
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संक्रमण से बचाव
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मोटापे से बचाव
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भावनात्मक लगाव बढ़ाता है
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हृदय रोगों से सुरक्षा
माँ के लिए लाभ
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प्रसवोपरांत वजन घटाने में मदद
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कैंसर, मधुमेह, ऑस्टियोपोरोसिस से सुरक्षा
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गर्भाशय का संकुचन
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मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
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भारी खर्च से बचाव
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सौंदर्य और शारीरिक संरचना में सुधार
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भावनात्मक बंधन को गहरा करना
इस संगोष्ठी ने स्पष्ट संदेश दिया – माँ का दूध न केवल बच्चे का हक है, बल्कि यह माँ और शिशु दोनों के लिए प्रकृति का अनमोल उपहार है।